नई दिल्ली: असम और मिज़ोरम के बीच घमासान जारी है। पिछले हफ्ते असम के साथ मिज़ोरम की जो हिंसा हुई उसे लेकर मिजोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरामथंगा ने बताया कि किस तरह इस हिंसक झड़प की शुरुआत हुई। उन्होंने कहा कि असम पुलिस के 200 जवानों ने पहले मिज़ोरम पुलिस चौकी पर कब्जा जमा लिया था और इसके बाद उन्होंने स्थानीय लोगों पर आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठियां बरसा दी।
मिज़ोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरामथंगा ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ उनकी और असम के मुख्यमंत्री की शिलॉन्ग में 24 जुलाई को बैठक हुई थी। इस दौरान हमने आपसी मामले को शांतिपूर्वक सुलझाने का निर्णय लिया। इसके लिए दोनों ही मुख्यमंत्री ने सहमति जताई थी। लेकिन दो दिन बाद 26 जुलाई को असम पुलिस ने मिज़ोरम की पुलिस चौकी पर कब्जा कर लिया। यदि एक राज्य की पुलिस इस तरह दूसरे राज्य की पुलिस चौकी पर कब्ज़ा करे तो यह उचित नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि जब असम पुलिस ने कब्जा कर लिया तो असम कमांडर से बात करने के लिए मिज़ोरम पुलिस पहुंची। इस दौरान असम पुलिस ने उनपर आंसू गैस के गोले बरसा दिए और उनपर लाठियां चलाई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस द्वारा लोगों पर लाइट मशीन गन का भी प्रयोग किया गया। जब असम पुलिस धुआंधार फायरिंग कर रही थी तो मिज़ोरम पुलिस भी पूरी ताकत से लड़ी। इस दौरान मिज़ोरम के एसपी की जान भी खतरे में पड़ गई थी और मिज़ोरम के दो लोग घायल भी हुए। मुख्यमंत्री जोरामथंगा ने कहा कि दुख तो इस बात का है कि गृहमंत्री के साथ शिलॉन्ग में हुई बैठक के दो दिन बाद ही असम पुलिस ने एक ही दिन में मिज़ोरम, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय में हमला कर दिया। इस मामले में असम सरकार अवैध ड्रग्स और पशु तस्करी का तर्क दे रही है। हालांकि उनकी सफाई में कोई दम नहीं है। जबकि गृहमंत्री अमित शाह के साथ हुई बैठक में हमने इस मुद्दे को शांति से सुलझाने का फैसला लिया है।
मिज़ोरम के मुख्यमंत्री ने बताया कि असम ने मिज़ोरम के खिलाफ नाकाबंदी कर दी है और इस मामले में केंद्र सरकार को जल्द से जल्द दखल देने की ज़रूरत है। क्योंकि यह दूसरा बर्लिन नहीं बनना चाहिए। मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताते हुए कहा कि केंद्र सरकार इस मामले में हस्तक्षेप करेगी।