कोलकाता: हाल ही में हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद ममता बनर्जी काफी उत्साहित हो गईं हैं। पश्चिम बंगाल में भारी मतों से जीतने के बाद उनकी पार्टी मजबूत विपक्ष के तौर पर उभरी है। ऐसे में ममता बनर्जी ने कुछ समय पहले अपनी पार्टी को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने की बात कही थी। इसी कड़ी में कुछ दिनों पहले ममता बनर्जी ने शहीद दिवस की रैली में अपना वार्षिक संबोधन दिया था। इस दौरान उन्होंने मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए विपक्षी नेताओं से गठबंधन को लेकर काम शुरू करने की बात कही।
वहीं टीएमसी के राज्य महासचिव कुणाल घोष ने कहा कि इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि ममता बनर्जी मजबूत विपक्ष नेता के रूप में उभरी हैं। अगर आप उनके भाषण को सुनेंगे तो समझ पाएंगे कि वह भाजपा विरोधी मतों को एकजुट करते हुए भाजपा के खिलाफ पार्टियों का गठबंधन करना चाहती हैं। एक अन्य टीएमसी नेता ने कहा कि ममता बनर्जी ने साल 2014 और 2019 के अपने अनुभवों के मद्देनजर विपक्षी एकता का आह्वान किया है। क्योंकि विपक्षी दलों में नेतृत्व, एकता और समन्वय की कमी की वजह से भाजपा को सत्ता में आने में काफी मदद मिली है। साल 2014 और 2019 में हम एक संयुक्त मोर्चा के गठन करने में सफल नहीं हो पाए क्योंकि चुनाव से कुछ महीने पहले ही इसकी पहल की गई थी। उस समय मतदाताओं में विश्वास पैदा नहीं हो सका। लेकिन इस बार हम सभी मतभेदों को दूर करते हुए इस प्रक्रिया को पहले से ही शुरू करना चाहते हैं। हालांकि तृणमूल कांग्रेस BJP विरोधी मोर्चा बनाना तो चाहती है लेकिन अपने राजनीतिक मतभेदों को दूर करते हुए विपक्षी दलों को एक साथ होने के लिए राजी करना उसके लिए एक मुश्किल चुनौती है। लेकिन तृणमूल कांग्रेस के पास चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर हैं जो उन्हें समय-समय पर निर्देश दे सकते हैं।
बता दें कि प्रशांत किशोर ने कुछ समय पहले ही एनसीपी प्रमुख शरद पवार, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी से भी मुलाकात की थी। वहीं राजनीतिक विश्लेषक विश्वनाथ चक्रवर्ती का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस प्रशांत किशोर के विभिन्न दलों के साथ तालमेल होने का फायदा उठाकर विपक्षी दलों को एकजुट कर सकती है। उन्होंने आगे कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों के पास BJP के अभियान का मुकाबला करने के लिए एक साझा रणनीति की कमी होना सबसे बड़ा अभाव रहा। चक्रवर्ती ने कहा कि जिस तरह ममता बनर्जी ने बंगाल में भाजपा के साथ लड़ाई लड़ी है उससे वह एक ऐसी नेता के रूप में उभरीं हैं जो 2014 से सत्ता में बने भाजपा को आगे रोक सकती है।
इसके अतिरिक्त राजनीतिक विश्लेषक सुमन भट्टाचार्य ने कहा कि फिलहाल मोदी सरकार की लोकप्रियता काफी नीचे जा चुकी है और विपक्ष को चाहिए कि वह इस सुनहरे अवसर का ज़्यादा से ज़्यादा फायदा उठाए। यही नहीं लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी का भी मानना है कि अगर उनकी पार्टी उन्हें समर्थन नहीं देती है तो कोई और गठबंधन राष्ट्रीय स्तर और भाजपा के खिलाफ विश्वास नहीं कायम कर सकेगा। अगर कोई यह सोच रहा है कि कांग्रेस को विश्वास में लिए बिना वह BJP को पराजित कर लेगा तो वह दिन में सपने देख रहा है।