लखनऊ: उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी गतिविधियां शीर्ष पर है। ऐसे में राजनीतिक दल दूसरे दलों के साथ गठबंधन बनाने में जूट गए हैं। इसी कड़ी में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर ने AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी के साथ मिलकर भागीदारी संकल्प मोर्चा बनाया है। अब राजभर अपने इस मोर्चे में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को भी शामिल करना चाहते हैं। मामले को लेकर चर्चा करने के लिए राजभर 17 जुलाई को अरविंद केजरीवाल से मुलाकात करने दिल्ली पहुंचेंगे। यह खबर सामने आते ही लोगों में उत्कंठा होने लगी कि क्या ओवैसी और केजरीवाल एक साथ खड़े होंगे?
ओमप्रकाश राजभर ने स्वयं इस बात की जानकारी दी कि वे आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर अरविंद केजरीवाल से मुलाकात करेंगे। इस दौरान AAP सांसद संजय सिंह भी साथ रहेंगे। उन्होंने आगे बताया कि कुछ दिनों पहले वे संजय सिंह से मिले थे और इसके बाद राजभर ने अरविंद केजरीवाल को फोन करके उनसे बात की। अब राजभर और केजरीवाल आमने-सामने बैठकर गठबंधन पर निर्णायक फैसला लेंगे। भागीदारी संकल्प मोर्चा में राजभर और ओवैसी एक साथ हैं और अब राजभर AAP को भी इसमें शामिल करना चाहते हैं। लेकिन एक समस्या यह भी है आम आदमी पार्टी को ओवैसी का साथ पसंद नहीं है। इस संदर्भ में बात करते हुए AAP के यूपी अध्यक्ष सभाजीत सिंह ने कहा कि ओमप्रकाश राजभर हमारे सांसद संजय सिंह से कई बार मिल चुके हैं और इन मुलाकातों में हम भी मौजूद रहे। हालांकि इस दौरान उन्होंने केवल उत्तर प्रदेश में दलित और ओबीसी पर हो रहे उत्पीड़न के मामलों पर ही बात की थी, गठबंधन को लेकर कोई बात नहीं हुई।
सभाजीत सिंह ने स्पष्ट करते हुए कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए लेकिन उत्तर प्रदेश में आम आदमी पार्टी ओवैसी के साथ गठबंधन नहीं करेगी। यहां तक कि जिस गठबंधन में ओवैसी शामिल हो उसका हिस्सा भी नहीं बनेगी। वहीं दूसरी तरफ AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने कहा कि भागीदारी संकल्प मोर्चा में 8 दल शामिल हैं और इस मोर्चे के संयोजक राजभर हैं। राजभर उत्तर प्रदेश में BJP को सत्ता में आने से रोकने के लिए एक मजबूत गठबंधन बनाना चाहते हैं। इसलिए अगर इस मोर्चे में अरविंद केजरीवाल भी शामिल होते हैं तो उनका स्वागत है। लेकिन यह निर्णय राजभर ही लेंगे और अगर बात चुनावी मंच साझा करने की है तो इसपर असदुद्दीन ओवैसी निर्णय लेंगे।
दरअसल जब दिल्ली विधानसभा चुनाव हो रहे थे तो असदुद्दीन ओवैसी आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन करना चाहते थे लेकिन अरविंद केजरीवाल ने उन्हें भाव ही नहीं दिया। इसके अतिरिक्त अरविंद केजरीवाल ने हिन्दू मतों को एकजुट करने के लिए मुस्लिम इलाकों से दूरी भी बना ली थी। अब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के समय भागीदारी संकल्प मोर्चा में ओवैसी के पहले से शामिल रहते हुए आम आदमी पार्टी का इस गठबंधन में शामिल होना थोड़ा मुश्किल नज़र आ रहा है। हालांकि इस संबंध में राजभर ने कहा कि सियासत में कोई भी दल एक दूसरे के स्थाई दोस्त या दुश्मन नहीं रहते। सबका लक्ष्य भाजपा को सत्ता में आने से रोकना है। दूसरी तरफ AIMIM सूत्रों के अनुसार असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि राजभर और केजरीवाल की मुलाकात होने का यह अर्थ नहीं कि गठबंधन हो ही गया। इससे यह तो साफ है कि अगर आम आदमी पार्टी इस गठजोड़ में शामिल हो भी जाती है तो स्थिति एक म्यान में दो तलवार जैसी होगी।