नई दिल्ली: कांग्रेस में युवा नेताओं का पार्टी छोड़कर जाना पार्टी के लिए एक मुद्दा बन गया है। पार्टी की हर तरह की कोशिशों के बाद भी कांग्रेस युवाओं में विश्वास नहीं बना पा रही है और शायद यही वजह है कि पार्टी के युवा नेता पार्टी से पलायन कर रहे हैं। इसी कड़ी में 15 अगस्त को पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की टीम का हिस्सा रह चुकीं सुष्मिता देव ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या कांग्रेस से युवा नेताओं का मोह खत्म हो गया है?
दरअसल सुष्मिता देव से पहले ही ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया था। इस बीच राहुल गांधी के टीम के सदस्य मिलिंद देवड़ा भी आजकल पार्टी से नाराज़ चल रहे हैं। बता दें कि राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में भी पार्टी के अंदर गुटबाजी जारी है। कांग्रेस का एक खेमा दूसरे खेमे को नीचा दिखाने और उसकी समस्याएं बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। इसके अलावा कांग्रेस को हर जगह से नाकामी हाथ लग रही है और यही कारण है कि पार्टी के नेताओं को अपने भविष्य को लेकर चिंता हो रही है। इस संदर्भ में रोहतक स्थित महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर का मानना है कि पार्टी का नेतृत्व कमज़ोर होना ही इसका मुख्य कारण है। उनके अनुसार जब पार्टी का नेतृत्व मज़बूत था तब उन्होंने विभिन्न राज्यों में गुटबाजी को बढ़ावा दिया। वर्तमान में कांग्रेस बहुत कमजोर है और वह मौजूदा हालात को संभाल पाने में असमर्थ है। पार्टी के युवा नेताओं को अपने भविष्य की चिंता है और कांग्रेस में उन्हें अपना भविष्य उज्ज्वल नहीं दिख रहा है। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि सुष्मिता देव के पार्टी छोड़ने से गलत संदेश पहुंचा है। वहीं राहुल गांधी फिलहाल भाजपा के खिलाफ विपक्ष को एक साथ लाने की कोशिश में जुटे हैं। ऐसे में ये प्रश्न उठना तो स्वाभाविक है कि जब वे अपनी पार्टी को नहीं संभाल पा रहे तो वे विपक्ष को एकजुट कैसे रख सकेंगे।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने सुष्मिता देव के पार्टी छोड़ने के फैसले को लेकर कहा कि इसका जवाब तो वे खुद ही दे सकती हैं। हालांकि पार्टी युवा नेतृत्व को लेकर काफी गंभीर है। कांग्रेस युवाओं को पार्टी से जोड़े रखने की मुहिम जारी रखेगी। इसी कड़ी में आने वाले 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस युवाओं को ज़्यादा मौके देगी।