नई दिल्ली: टोक्यो पैरालंपिक में भारतीय खिलाड़ी विनोद कुमार विकार क्लासिफिकेशन निरीक्षण में ‘अयोग्य’ पाए गए हैं। जिसके बाद पैरालंपिक में पुरूषों की F52 चक्का फेंक प्रतियोगिता में हासिल किया हुआ कांस्य पदक उन्होंने गंवा दिया है। बता दें कि F52 कंपीटिशन में सिर्फ वे खिलाड़ी ही भाग लेते हैं जिनकी मांसपेशियों की क्षमता कमज़ोर होती है और उनका हिलना-डुलना सीमित होता है, इन खिलाड़ियों के हाथों में विकार होता है या फिर पैरों की लंबाई में फर्क होता है और इन्हीं सब के अंतर्गत खिलाड़ी इस प्रतिस्पर्धा का हिस्सा बनते हैं।
दरअसल 22 अगस्त को आयोजकों द्वारा विनोद का क्लासिफिकेशन किया गया था। सूत्रों की माने तो विनोद के मेडिकल क्वालीफिकेशन को चुनौती दी गई थी। एक बयान के दौरान आयोजकों ने बताया कि पैनल को पता चला है कि नेशनल पैरालंपिक कमेटी (NPC) भारतीय खिलाड़ी विनोद कुमार को ‘स्पोर्ट क्लास’ वितरित करने में असमर्थ रहा और विनोद का क्लासिफिकेशन पूरा नहीं किया गया। इसके तहत पुरुषों की F52 चक्का फेंक स्पर्धा के लिए विनोद कुमार को अयोग्य करार दिया गया है और प्रतियोगिता में आए परिणाम को भी अमान्य माना गया है। क्योंकि एफ52 में वहीं खिलाड़ी भाग लेते हैं जिनकी मांसपेशियों की क्षमता कमज़ोर होती है और उनका मूवमेंट लिमिटेड होता है। ऐसे खिलाड़ी बैठकर प्रतियोगिता में भाग लेते हैं। बता दें कि पैरा खिलाड़ियों को उनके विकार के आधार पर कैटेगराइज किया जाता है। क्लासिफिकेशन प्रणाली के तहत समान विकार वाले खिलाड़ियों को प्रतिस्पर्धा करने की इजाज़त मिलती है। 22 अगस्त को आयोजकों द्वारा विनोद का क्लासिफिकेशन किया गया था। दरअसल विनोद के पिता भारत-पाकिस्तान के बीच साल 1971 में हुए युद्ध में लड़े थे। जब विनोद सीमा सुरक्षा बल में शामिल हुए तो प्रशिक्षण के दौरान वे लेह में एक चोटी से गिर गए थे जिसके बाद उनके पैर में चोट लग गई थी। तब से लेकर लगभग एक दशक तक विनोद बिस्तर पर ही रहे और इसी बीच उनके माता-पिता का भी निधन हो गया था। वहीं प्रतिस्पर्धा में क्लासिफिकेशन अवलोकन मूल्यांकन और क्लासिफिकेशन पैनल के पुनर्मूल्यांकन के बाद पैनल ने कहा कि विनोद को एनपीसी खेल वर्ग आवंटित नहीं कर पाई और इसलिए भारतीय खिलाड़ी को क्लासिफिकेशन नॉट कम्पलीट के तौर पर नामित किया गया था।
गौरतलब है कि सीमा सुरक्षा बल के 41 वर्षीय जवान विनोद कुमार ने चक्का फेंक प्रतियोगिता में 19.91 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो से एशियाई रिकॉर्ड बनाकर तीसरा स्थान प्राप्त कर लिया था। विनोद पोलैंड के पियोट्र कोसेविज जिसने 20.02 मीटर लंबा और क्रोएशिया के वेलिमीर सैंडोर जिसने 19.98 मीटर के थ्रो से पीछे रह गए थे। लेकिन तीसरा स्थान हासिल करके उन्होंने भारत के लिए कांस्य पदक अपने नाम कर लिया था।