यूक्रेन पर रुसी हमला (Russia-Ukraine War) 2 महीने बीत जाने के बाद भी लगातार जारी है। इस दौरान दोनों देशों के बीच तो दुरी बढ़ी ही है, साथ ही दोनों देशों के नागरिकों में भी खासी दूरियां पैदा हो गई हैं। हालत इतने ख़राब हो गए हैं कि यूक्रेन के लोग अब रूस से जुड़ी ऐतिहासिक स्मारकों (Historical Monuments) को भी अपने साथ नहीं रखना चाहते हैं। कल यूक्रेन की राजधानी कीव में मौजूद रूस और यूक्रेन की दोस्ती की पहचान सोवियत स्मारक को ढहा दिया गया। यूक्रेनी लोगों का मानना है की जब दोस्ती ही नहीं रही तो दोस्ती का निशाँ क्यों बाक़ी रह जाए।
यूक्रेन पर रूस ने 24 फरवरी को हमला शुरू किया था, जिसके बाद कई यूक्रेनी शहर पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं बल्कि कई शहर तो खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। कई करोड़ यूक्रेनी लोगों ने जान बचाने के लिए अपना मुल्क छोड़ दिया और दूसरे मुल्कों में शरण ले लिया। इस युद्ध में हज़ारों यूक्रेनी लोगों की जान जा चुकी है और आज भी रुसी हमला बादस्तूर जारी है। दोनों देशों के बीच शांति की तमाम कोशिशें नाकाम हो चुकी हैं। इस युद्ध में सबसे ज्यादा परेशानियों का सामना यूक्रेन की महिलाओं और बच्चों को करना पड़ रहा है।
गोलीबारी और मिसाइल धमाकों ने महिलाओं और बच्चों को उनके घर से दूर कर दिया है। यूक्रेन में पुरुषों के लिए अनिवार्य मिलिट्री सेवा (Compulsory Military Service) लागू कर दिया गया है। ऐसे में यूक्रेन के ज्यादातर पुरुष मिलिट्री के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। दूसरी ओर महिलाएं और बच्चे बिलकुल अकेले पड़ गए हैं। वो किसी तरह बंकरों और तहखानों में छिपकर अपनी जान बचा रहे हैं।
हालांकि यूक्रेन डट का रुसी हमले का मुक़ाबला कर रहा है और अमेरिका, ब्रिटैन जैसे मुल्क यूक्रेन का साथ दे रहे हैं। इस बीच रूस की धमकियों के बावजूद जर्मनी ने भी यूक्रेन को 50 गेपर्ड टैंक सप्लाई करने का एलान कर दिया है। हालांकि पहले ऐसा करने के बाद दुनिया के मंच पर उसे कई तरह के सवालों का सामना करना पड़ेगा। इसके इलावा पोलैंड ने भी यूक्रेन को सैन्य मदद देने की घोषणा की है।