नई दिल्ली: राज्यसभा की कार्यवाही आज दिन भर के लिए स्थगित हो गई है। दरअसल पेगासस प्रोजेक्ट, किसानों के प्रदर्शन और मीडिया संगठनों पर छापा पड़ने पर बातचीत करने के लिए विपक्षी नेताओं ने कार्य स्थगित करने की मांग की थी जिसके बाद दो बजे कार्यवाही फिर शुरू की गई। इस दौरान विपक्षी नेताओं ने पेगासस मामले पर सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव को अपनी बात नहीं पूरी करने दी। स्थिति ये हो गई कि वे हाथापाई पर उतर आए जिसके बाद टीएमसी सांसद शांतनु सेन ने अश्विनी वैष्णव के हाथ से पेगासस का कागज़ लेकर उसे फाड़ दिया और कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित करनी पड़ी।
गौरतलब है कि संसद के मानसून सत्र के पहले दिन से ही पेगासस को लेकर दोनों सदनों में विपक्ष मोर्चा खोले बैठा है। पेगासस के अतिरिक्त किसानों के विरोध का मुद्दा लेकर भी सदन में हंगामा जारी है। आज भी आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव विपक्ष के हमलों के दौरान बयान दे रहे थे। इस दौरान तृणमूल कांग्रेस के सांसद शांतनु सेन आसन के सामने आकर हंगामा करने लगे। इसके बाद उन्होंने आईटी मंत्री से पेगासस की रिपोर्ट छीनकर फाड़ डाली और टुकड़ों को हवा में उछाल दिया। इस हंगामे के बाद अश्विनी वैष्णव अपना बयान पूरा न पढ़ सके। अपने बयान में अश्विनी वैष्णव ने इज़रायली स्पाइवेयर पेगासस के माध्यम से भारत सरकार के लोगों के फोन हैक करने की खबरों को सिरे से खारिज कर दिया।
उन्होंने आगे कहा कि संसद के मानसून सत्र के शुरू होने से ठीक पहले इस तरह की खबर का प्रकाशित होना एक संयोग नहीं है बल्कि यह एक सोची समझी साजिश है। जिसके तहत भारतीय लोकतंत्र की छवि को धूमिल करने की कोशिश की गई है। उन्होंने आगे कहा कि जब देश में पहले से ही नियंत्रण और निगरानी की व्यवस्था है तो भला अनधिकृत व्यक्ति द्वारा अवैध माध्यम से निगरानी रखना कैसे मुमकिन है। वहीं दूसरी तरफ सदन में टीएमसी सांसद की हरकत को राज्यसभा सांसद स्वपन दास गुप्ता ने पूरी तरह गलत बताया। उन्होंने कहा कि जब आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव बयान दे रहे थे तो शांतनु सेन को उनकी बात खत्म हो जाने के बाद अपने सवाल करने चाहिए थे। लेकिन बहस करने की बजाय क्या हम सदन में गुंडागर्दी करेंगे? इस तरह की हरकत नियमों के खिलाफ है और इसकी निंदा की जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि हमने किसानों की समस्या को लेकर नोटिस भेजा था और तृणमूल ने पेगासस पर नोटिस भेजा था जिसपर हंगामा हो गया।
जानकारी हो कि संसद के मानसून सत्र के पहले दिन ही अन्तर्राष्ट्रीय मीडिया ने यह दावा किया था कि भारत में Pegasus नामक एक सॉफ्टवेयर द्वारा नेताओं, पत्रकारों और अन्य लोगों के फोन हैक किए गए है। रिपोर्ट्स की माने तो सबसे ज्यादा हैकिंग साल 2018 और 2019 में हुई है। मीडिया कंपनियां इस मुद्दे पर पूरी सीरीज़ निकालेगी और इस कड़ी में पहला नाम पत्रकारों का है। बता दें कि Pegasus स्पाइवेयर इज़रायली कंपनी NSO ग्रुप द्वारा बनाया गया है। हैकिंग के खुलासे के बाद NSO ग्रुप ने भी इसे सिरे से खरिज किया था। NSO ग्रुप ने बयान देते हुए कहा था कि जारी की गई रिपोर्ट पूरी तरह गलत है। ऐसा लग रहा है जैसे किसी अनजान स्रोत से गलत जानकारी हासिल की गई है और यह रिपोर्ट बनाई गई है।