नई दिल्ली: गुरुवार को राज्यसभा में आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव से पेगासस की रिपोर्ट छीनकर फाड़ने वाले तृणमूल कांग्रेस के सांसद शांतनु सेन को सस्पेंड कर दिया गया है। जिसके तहत अब सांसद शांतनु सेन संसद के मानसून सत्र की बाकी कार्यवाही का हिस्सा नहीं बन सकेंगे। शांतनु सेन के सस्पेंड किए जाने के बाद राज्यसभा के सभापति ने उन्हें संसद से बाहर जाने का आदेश दिया।
दरअसल संसद के मानसून सत्र के पहले दिन से ही पेगासस को लेकर दोनों सदनों में विपक्ष मोर्चा खोले बैठा है। गुरुवार को जब आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव विपक्ष के हमलों के दौरान बयान दे रहे थे तो इस दौरान तृणमूल कांग्रेस के सांसद शांतनु सेन आसन के सामने आकर हंगामा करने लगे। इसके बाद उन्होंने आईटी मंत्री से पेगासस की रिपोर्ट छीनकर फाड़ डाली और टुकड़ों को हवा में उछाल दिया। जिसके बाद संसद की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित करनी पड़ी थी। इसलिए शुक्रवार को राज्यसभा में शांतनु सेन को सदन की बाकी कार्यवाही के दौरान बाहर रखने के लिए प्रस्ताव पेश किया गया था। जिसके बाद सभापति ने इसपर कार्रवाई करते हुए शांतनु सेन को सस्पेंड कर दिया।
बता दें कि शांतनु सेन टीएमसी के सांसद होने के साथ-साथ पेशे से एक डॉक्टर है। इससे पहले वे इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। शांतनु पहले कोलकाता में टीएमसी के काउंसलर भी रह चुके हैं। साल 2016 में शांतनु सेन टीएमसी की ओर से मुर्शिदाबाद की कांदी सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए खड़े हुए थे। लेकिन वे चुनाव में जीत दर्ज नहीं कर पाए थे। जिसके बाद टीएमसी ने उन्हें राज्यसभा सांसद का टिकट दिया और वे राज्यसभा सांसद बन गए। शांतनु सेन एक पढ़े-लिखे नेता हैं जिन्हें विवादों से दूर रहने वाले नेता के रूप में भी जाना जाता है। उनके विरुद्ध अब तक कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया गया है। हालांकि साल 2019 में उत्तर कोलकाता की एक प्रमोटर ने उनपर कट मनी लेने का आरोप लगाया था। लेकिन शांतनु सेन ने प्रमोटर के सभी आरोपों को खारिज करते हुए कोर्ट से प्रमोटर के खिलाफ मानहानि का मुकदमा चलाने की अपील भी की थी।