नई दिल्ली: तालिबान के अफगानिस्तान पर पूरी तरह से कब्जा हो गया है। 20 साल बाद तालिबान ने 15 अगस्त को दोबारा अफगानिस्तान पर कब्ज़ा कर लिया था। तालिबानी लड़ाकों के काबुल में घुसते ही देश के राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए थे। इसी बीच आम लोग भी देश छोड़ने की कोशिश में लगें हैं। तालिबान के कब्जे के बाद से हज़ारों लोग अफगानिस्तान छोड़ चुके हैं और छोड़ रहे हैं। जिसके बाद तालिबान द्वारा चेताया गया है कि अब वो किसी भी अफगान नागरिक को देश छोड़ने की अनुमति नहीं देगा।
तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने मीडिया से बात करते हुए मंगलवार को कहा कि अब किसी भी अफगानी को देश छोड़कर जाने की अनुमति नहीं होगी। उन्होंने कहा कि विदेशी नागरिक अपने देश वापस जा सकते हैं। तालिबानी प्रवक्ता मुजाहिद ने जानकारी दी कि एयरपोर्ट जाने वाली सड़क को ब्लॉक कर दिया गया है और अब अफगानी उस सड़क से एयरपोर्ट नहीं जा सकते हैं। हालांकि विदेशी नागरिक अपने देश लौट सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि जो अफगानी नागरिक देश छोड़कर चले गए हैं उन्हें भी वापस लौट आना चाहिए। हम अफगानी नागरिकों को देश छोड़कर नहीं जाने देंगे और इससे हम बिल्कुल खुश नहीं हैं। अफगानिस्तान के डॉक्टरों और शिक्षकों को देश छोड़कर नहीं जाना चाहिए। उन्हें अपने देश में रहकर काम करना चाहिए। बता दें कि जब से तालिबान ने अफगानिस्तान पर अपना नियंत्रण स्थापित किया है तब से हज़ारों लोगों ने देश छोड़ दिया है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा था 14 अगस्त से अब तक काबुल से लगभग 70 हज़ार लोगों को निकाला गया है। इन लोगों में अमेरिकी नागरिक, नाटो के अधिकारी और संकट का सामना कर रहे अफगान नागरिक भी शामिल हैं। वहीं तालिबान प्रवक्ता के बयान पर व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी जेन साकी ने जानकारी दी कि जिन अफगानियों को अमेरिका ने प्राथमिकता दी है उन लोगों पर इसका असर नहीं होगा। उन्होंने आगे कहा कि इस संबंध में तालिबान को जानकारी दे दी गई है और उन्हें ऐसे लोगों को एयरपोर्ट पहुंचने देने की बात कही गई है।
गौरतलब है कि इस समय विश्व के सभी देशों के सामने ये सवाल खड़ा हो गया है कि तालिबानी सरकार को मान्यता दी जाए या नहीं। जहां अनेक देशों ने तालिबान का खुले तौर पर विरोध किया है वहीं कुछ देशों ने तालिबान का साथ देने की भी बात कही है। बीते दिनों ये खबर भी मिली थी कि तालिबान की चीन और पाकिस्तान के वरिष्ठ मंत्रियों के साथ मीटिंग भी हुई है। बता दें कि अफगानिस्तान को लेकर अब तक भारत ने कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है कि वह तालिबानी सरकार को मान्यता देगा या नहीं।