कोलकाता: पूर्व सांसद सुष्मिता देव 15 अगस्त को कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद अब तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गईं हैं। ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी और डेरेक ओ ब्रायन ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई। जब सुष्मिता देव ने कांग्रेस छोड़ी तो कांग्रेस के नेताओं ने इस मामले पर सवाल उठाए थे। पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा था कि इस पर विचार किए जाने की ज़रूरत है कि आखिर पार्टी के युवा नेता कांग्रेस क्यों छोड़ रहे हैं।
दरअसल सुष्मिता देव ऑल इंडिया महिला कांग्रेस की अध्यक्ष थीं। सुष्मिता के पिता संतोष मोहन देव का असम में अच्छा दबदबा रहा है। संतोष मोहन देव राजीव गांधी सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। अपने पिता के बाद सुष्मिता देव ने कांग्रेस के टिकट पर सिलचर से लोकसभा चुनाव जीता और सांसद बनीं। बता दें कि तृणमूल कांग्रेस सुष्मिता देव की सहायता से असम, त्रिपुरा और कई दूसरे राज्यों में अपनी पार्टी के विस्तार की योजना बना रही हैं। ऐसे में उसकी असम और त्रिपुरा पर कड़ी नज़र बनी हुई है। अब तृणमूल पश्चिम बंगाल से बाहर निकलकर राष्ट्रीय राजनीति में उतरना चाहतीं हैं। जबसे ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव जीता है तब से उनका उत्साह काफी बढ़ गया है और ऐसे में अब तृणमूल लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। पार्टी का मानना है कि असम और त्रिपुरा में उसका स्कोप है और वहां वह फल-फूल सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि असम की बराक घाटी में बंगाली बोलने वाले लोग होते हैं और त्रिपुरा में भी अच्छी संख्या में बंगाली बोलने वाले लोग है। इसी संबंध में पार्टी ऐसे नेता को ढूंढ रही थी जो असम में तृणमूल कांग्रेस का नेतृत्व कर सके।
तृणमूल असम और त्रिपुरा में नेतृत्व के लिए रायजोर दल के प्रमुख अखिल गोगोई को अपने साथ शामिल करने की कोशिश कर रही थी। टीएमसी ने अखिल गोगोई के साथ दो राउंड तक बैठक भी की थी। टीएमसी ने उन्हें असम में पार्टी का नेतृत्व करने का प्रस्ताव भी दिया था। लेकिन गोगोई ने इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। जिसके बाद तृणमूल ने सुष्मिता देव के साथ अपनी बात जमा ली और उन्होंने 15 अगस्त को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया।