नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर का प्रकोप जारी है। ऐसे में रेमडेसिवीर इंजेक्शन को लेकर कई राज्यों में कालाबाज़ारी शुरू हो गई। यही नहीं कई जगहों से नकली रेमडेसिवीर इंजेक्शन भी बरामद किए गए। रेमडेसिवीर इंजेक्शन को लेकर इस तरह मारामारी का कारण है इसका कम उत्पादन और इसी कारण ये केंद्र की ओर से दी जा रही थी। किंतु अब केंद्र सरकार ने राज्यों से डायरेक्ट कंपनी से आवश्यकतानुसार इंजेक्शन खरीदने की बात कही है।
शनिवार को रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने घोषणा करते हुए जानकारी दी कि केंद्र सरकार ने अब रेमडेसिवीर इंजेक्शन के वितरण पर रोक लगाने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही सरकार द्वारा नेशनल फार्मास्युटिकल्स प्राइसिंग एजेंसी और सीडीएससीओ को रेमडेसिवीर की उपलब्धता पर निगरानी रखने का निर्देश है। केंद्र सरकार की मानें तो अब रेमडेसिवीर इंजेक्शन का उत्पादन पहले से बढ़ गया है क्योंकि जहां पहले देश में रेमडेसिवीर इंजेक्शन बनाने के केवल 20 प्लांट थे वहीं अब 60 प्लांट मौजूद हैं। इस तरह से जितनी मांग नहीं है उससे अधिक सप्लाई है।
मनसुख मंडाविया ने ट्वीट करते हुए ये भी लिखा कि उन्हें ये बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि रेमडेसिवीर इंजेक्शन के उत्पादन में पहले से 10 गुना बढ़ोतरी हो गई है। जहां 11 अप्रैल 2020 को प्रतिदिन केवल 33,000 इंजेक्शन वॉयल का उत्पादन हो रहा था वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में अब ये संख्या साढ़े तीन लाख हो गई है।
गौरतलब है कि अमेरिकी कंपनी गिलियड साइंसेज के पास रेमडेसिवीर का पेटेंट है और उसने भारत की 4 कंपनियों सिप्ला, हेटेरो लैब्स, जुबिलिएंट लाइफसाइंसेस और मिलान के साथ रेमडेसिवीर का निर्माण करने का एग्रीमेंट किया है। ये कंपनियां विश्व स्तर पर इसका निर्माण कर रही है और लगभग 126 देशों में रेमडेसिवीर इंजेक्शन का निर्यात भी कर रही हैं।