नई दिल्ली: कोरोना काल में कोरोना महामारी के कारण जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को अब तक मृत्यु प्रमाण पत्र जारी न किए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से नाराजगी जताई है। दरअसल केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1 सितंबर तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया गया था। न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और एम.आर.शाह की पीठ ने कहा कि काफी पहले हमने आदेश पारित कर दिया था। इस संबंध में हमने एक बार समय अवधि में विस्तार कर लिया है। जब तक आप दिशनिर्देश तैयार करेंगे तब तक तो तीसरा चरण खत्म हो जाएगा।
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की तरफ से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को यह विश्वास दिलाया है की हर बात विचाराधीन हैं। वहीं याचिका दायर करने वाले वकील गौरव बंसल ने जवाब दिया कि विचाराधीन का बहाना बनाकर देरी करना ठीक नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट 16 अगस्त को ही केंद्र सरकार के लिए 4 हफ्ते का समय बढ़ा चुकी है ताकि केंद्र मुआवज़े के लिए दिशनिर्देश बना सके। लेकिन अब केंद्र अतिरिक्त समय की मांग कर रहा है। इसके अलावा कुछ अन्य याचिकाओं को लेकर वकील समीर सोढ़ी पेश हुए जिन्होंने कहा कि पहले दिए गए निर्देशों के अनुसार यह समय सीमा 8 सितंबर को ही खत्म हो रही थी। जिसके बाद पीठ द्वारा कहा गया कि यह मामला केंद्र सरकार पर निर्भर करता है कि वह समय सीमा के अंदर मुआवज़े का फैसला ले। केंद्र सरकार दूसरे मामलों को लेकर इसे स्थगित कर रही है। पीठ ने निर्देश दिया कि केंद्र 13 सितंबर तक का समय निर्धारित करें क्योंकि 30 जून 2021 के निर्देशों के पालन के लिए सॉलिसीटर जनरल ने समय मांगा है। निर्देशों के अनुपालन की रिपोर्ट को 11 सितंबर या फिर उससे पहले जमा कराना होगा। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 30 जून को दिशनिर्देश दिए गए थे कि केंद्र राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के निर्देशानुसार कोरोना के कारण हुई लोगों की मौतों के परिजनों को 6 हफ़्तों के अंदर मुआवजा देने के लिए निर्देश तय करें। कोर्ट ने दो अलग-अलग याचिकाओं पर फैसला दिया था।
बता दें कि कोरोना काल में सैंकड़ों लोगों की जान गई। जिसके बाद रीपक बंसल और गौरव कुमार बंसल ने एक याचिका दायर करते हुए केंद्र और राज्यों को निर्देश देने की अपील की। उन्होंने अपील करते हुए कहा था कि कोरोना काल में जिन लोगों की मौत हुई है उनके परिजनों को कानून के अनुसार 4-4 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए।