नई दिल्ली: केंद्र सरकार को अपनी वैक्सीनेशन पॉलिसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कड़े प्रश्नों का सामना करना पड़ा। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि 2021 की समाप्ति तक देश की पूरी जनसंख्या के वैक्सीनेशन हो जाने की आशा है। जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से वैक्सीन की कमी और गांवों में टीकाकरण की समस्या को लेकर सवाल किए हैं जिनका जवाब केंद्र को दो हफ़्तों में देना है।
अपनी वैक्सीनेशन पॉलिसी और उसकी कीमतों को लेकर हो रही आलोचनाओं से घिरी केंद्र सरकार को अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी घेर लिया है। केंद्र सरकार के अनुसार वर्ष 2021 के अंत तक पूरे देश का वैक्सीनेशन हो जाएगा। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने वैक्सीन की अलग-अलग कीमतों और गावों में हो रही वैक्सीन संबंधी समस्याओं पर सवाल पूछे हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार केंद्र को दो हफ़्तों के अंदर इन सवालों के जवाब देने हैं।
दरअसल वैक्सीन की कमी, उसकी अलग-अलग कीमतों और धीरे-धीरे रोलआउट को लेकर केंद्र सरकार की चारों ओर से आलोचना हो रही थी जिसे लेकर सर्वोच्च न्यायालय में आज सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने केंद्र से पूछा कि केंद्र राज्यों को 45 से अधिक उम्र के लोगों के लिए 100 फीसदी वैक्सीन सप्लाई कर रहा है लेकिन 18 से 44 आयु वर्ग के लिए केवल 50 फीसदी ही वैक्सीन दे रही है, इसका क्या कारण है? जबकि बाकी निजी अस्पतालों को सप्लाई किया जा रहा है। इस सवाल के जवाब में जब केंद्र ने कहा कि 45 से अधिक उम्र के लोगों की मृत्यु दर अधिक है तो न्यायालय ने इसपर भी सवाल उठाया। न्यायालय ने कहा कि इस दूसरी लहर से इस आयु वर्ग के लोग अधिक संक्रमित नहीं हो रहे बल्कि 18-44 आयु वर्ग खतरे में है, फिर सरकार केवल 45 से अधिक उम्र के लोगों के लिए वैक्सीन क्यों खरीद रही है?
सर्वोच्च न्यायालय ने डिजिटल वैक्सीनेशन को लेकर भी केंद्र की आलोचना की। कोर्ट ने कहा कि को-विन ऐप पर रजिस्ट्रेशन कराने की अनिवार्यता का ये डिजिटल बंटवारा गांवो में वैक्सीनेशन को लेकर परेशानी का कारण बनेगा। क्योंकि गांवों में इंटरनेट की इतनी सुलभता नहीं है। तो क्या यह उम्मीद करना सही है कि गांव के लोग रजिस्ट्रेशन करवाकर वैक्सीन लगवा लेंगे? हालांकि केंद्र ने इस सवाल का जवाब देते हुए साइबर कैफे को इसका हल बताया लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे अव्यवहारिक हल करार दिया।