पटना: नीतीश कुमार की जदयू में घमासान मचा हुआ है। इस बीच सबकी नज़र दिल्ली पर है। 31 जुलाई को JDU की कार्यकारिणी समिति की बैठक होनी है और इस बैठक में यह तय हो जाएगा कि अब जदयू का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष किसे नियुक्त किया जाएगा। बता दें कि आरसीपी सिंह ने कहा है कि उनसे पार्टी जब कहेगी की राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद त्याग दो तो वो पद त्याग देंगे। आरसीपी सिंह के इस बयान से यह साफ हो गया है कि अब JDU में नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति होगी।
सूत्रों की माने तो आरसीपी सिंह को एक बात तो स्पष्ट हो गई है कि उन्हें जदयू के एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत का पालन करना ही होगा। इस सिद्धांत के मद्देनज़र अब JDU का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना जाना तय है। बहरहाल यह सारी बातें तो 31 जुलाई को होने वाली कार्यकारिणी बैठक में साफ हो जाएंगी। जानकारी है कि 31 जुलाई को जदयू की कार्यकारिणी बैठक जंतर-मंतर स्थित कार्यालय में होगी। दरअसल जब उपेंद्र कुशवाहा की घर वापसी हुई और उन्हें जदयू के संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बना दिया गया तभी से JDU में राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर हलचल बढ़ गई है। सूत्रों के अनुसार उपेंद्र कुशवाहा को इतनी तवज्जो दी जाने की वजह से आरसीपी सिंह काफी नाराज चल रहे थे। इसका कारण यह है कि जदयू के नियमों के अनुसार जो व्यक्ति पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष होता है वही संसदीय बोर्ड का भी अध्यक्ष होता है। अब क्योंकि आरसीपी सिंह केंद्रीय मंत्री बन गए हैं और JDU में एक व्यक्ति एक पद की नीति लागू है तो ऐसे में आरसीपी सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटाना स्वाभाविक है।
कहा यह भी जा रहा है कि आरसीपी सिंह के केंद्र में मंत्री बनाए जाने पार्टी से वरिष्ठ नेता और स्वयं नीतीश कुमार भी नाराज़ हैं जिसके बाद से आरसीपी सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटाए जाने की मांग की जाने लगी। जानकारी के अनुसार JDU की 75 सदस्यों वाली कार्यकारिणी समिति यह निर्णय लेगी की पार्टी का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष किसे बनाया जाए। लेकिन इसके साथ ही राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर उसे ही नियुक्त किया जाएगा जो नीतीश कुमार का विश्वसनीय होगा। फिलहाल इस दौड़ में उपेंद्र कुशवाहा का नाम सबसे आगे है और दूसरे नम्बर पर ललन सिंह हैं। ललन सिंह भी इस बात से नाराज़ हैं कि केंद्र सरकार में उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया और ऐसे में पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर उनकी नाराज़गी दूर करने का JDU के पास अच्छा मौका है। वही उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार के लव-कुश समीकरण की अहम और मजबूत कड़ी हैं। नीतीश कुमार ने जदयू के पदाधिकारियों की बैठक में उपेंद्र के कार्यों की काफी प्रशंसा भी की थी।
जानकारी यह भी है कि अगर उपेंद्र कुशवाहा जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाते हैं तो उमेश कुशवाहा की प्रदेश अध्यक्ष पद से छुट्टी हो जाएगी। क्योंकि दोनों ही पदों पर कुशवाहा का होना पार्टी के लिए उचित नहीं होगा। इसलिए अनुमान यह भी है कि अगर ललन सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद दिया जाता है तो बिहार की बागडोर उपेंद्र कुशवाहा को मिल सकती है। लेकिन अगर उपेंद्र कुशवाहा को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाता है तो किसी सवर्ण या पिछड़ी जाति के नेता को बिहार प्रदेश का अध्यक्ष नियुक्त किया जा सकता है।