तीनों कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन (Farmer Protest) तक़रीबन एक साल तक चला। किसान आंदोलन के चलते पीएम मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को जब वापस लिए तभी सालभर से चल रहे आंदोलन का अंत हुआ। लेकिन अब एक बार फिर किसान आंदोलन (Vishwasghat Diwas) करने के मूड में हैं।
सरकार पर लिखित वादे पुरे न करने का आरोप
जी हां, किसान आज विश्वासघात दिवस (Vishwasghat Diwas) का मना रहे हैं। किसानों का आरोप है कि केंद्र ने समझौते के बाद लिखित वादों को पूरा नहीं किया। इसपर किसानों का कहना है कि सरकार ने उनके साथ धोखा किया है और 9दिसंबर को किसान आंदोलन (Farmer Protest) खत्म किए जाने के समय सरकार ने किसानों से जो वादा किया था उसे पूरा नहीं किया गया है। इसे लेकर किसानों ने 31 जनवरी यानी आज पूरे देश में विश्वासघात दिवस मनाने का फैसला किया है।
टिकैत ने ट्वीट कर किया विश्वासघात दिवस’ मनाने का एलान
बता दें कि भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा और साथ ही टिकैत ने ट्विटर पर लिखा कि “सरकार द्वारा किसानों से वादाखिलाफी के विरोध में 31 जनवरी को देश भर में ‘विश्वासघात दिवस’ मनाया जाएगा। सरकार के 9 दिसंबर के जिस पत्र के आधार पर आन्दोलन स्थगित किया गया था, सरकार ने उनमें से कोई वादा पूरा नहीं किया है .!”
सरकार द्वारा किसानों से वादाखिलाफी के खिलाफ कल 31 जनवरी को देशव्यापी "विश्वासघात दिवस" मनाया जाएगा ।
सरकार के 9 दिसंबर के जिस पत्र के आधार पर आन्दोलन स्थगित किया गया था, सरकार ने उनमें से कोई वादा पूरा नहीं किया है .!#FarmersProtest #विश्वासघात_दिवस pic.twitter.com/dBAlfXCGUI
— Rakesh Tikait (@RakeshTikaitBKU) January 30, 2022
वहीं हाल में टिकैत ने एक और ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने लिखा कि “देश के किसानों के साथ वादाखिलाफी कर किसानों के घाव पर नमक छिड़कने का काम किया गया है। किसानों के साथ हुए इस विश्वासघात से यह स्पष्ट है कि देश का किसान एक लंबे संघर्ष के लिए तैयार रहें। #विश्वासघात_दिवस” (Vishwasghat Diwas)
देश के किसानों के साथ वादाखिलाफी कर किसानों के घाव पर नमक छिड़कने का काम किया गया है ।
किसानों के साथ हुए इस विश्वासघात से यह स्पष्ट है कि देश का किसान एक लंबे संघर्ष के लिए तैयार रहें ।#विश्वासघात_दिवस
— Rakesh Tikait (@RakeshTikaitBKU) January 31, 2022
संयुक्त किसान मोर्चा में हुआ था विश्वासघात दिवस का फैसला
बता दें कि 15 जनवरी को हुई किसान सयुंक्त मोर्चा की बैठक में विश्वासघात दिवस आयोजित करने का फैसला लिया गया था। संयुक्त किसान मोर्चा ने देशभर में किसानों से कहा है वे 31 जनवरी को विश्वासघात दिवस मनाकर केंद्र सरकार तक अपनी नाराजगी पहुंचाएं। गौरतलब है कि केंद्र सरकार के बनाए तीन विवादित कानूनों के विरोध में किसानों दिल्ली की तीन सीमाओं पर एक साल तक आंदोलन (Farmer Protest) किया था। किसानों के दबाव में सरकार ने आंदोलन वापस लिया और न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की गारंटी के कानून पर विचार के लिए कमेटी बनाने सहित कई वादे किए। किसानों का कहना है कि सरकार वादा पूरा नहीं कर रही है।