चंडीगढ़: पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं लेकिन कांग्रेस में अंदरूनी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। बल्कि प्रतिदिन ये विवाद बढ़ता ही जा रहा है। जहां लंबे समय से कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच तकरार चल रही वहीं अब ये तकरार हरीश रावत तक पहुंच गई है। मालूम हो कि हरीश रावत पंजाब कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी हैं और अब नवजोत सिंह सिद्धू गुट उनपर धावा बोल रहा है।
दरअसल नवजोत सिंह सिद्धू के करीबी माने जाने वाले कांग्रेसी विधायक परगट सिंह ने प्रदेश प्रभारी हरीश रावत पर हमला बोल दिया है। कुछ समय पहले हरीश रावत ने कहा था कि कांग्रेस अगले साल पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई में ही लड़ेगी और इसी बात पर नवजोत गुट ने हरीश रावत को घेर लिया है। बीते गुरुवार को नवजोत सिंह सिद्धू ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि अगर उन्हें फैसले लेने की खुली छूट नहीं मिली तो वे ईंट से ईंट बजा देंगे। सिद्धू के इस बयान को कांग्रेस आलाकमान के खिलाफ माना गया। लेकिन परगट सिंह ने कहा कि उनके हिसाब से सिद्धू का बयान हरीश रावत के खिलाफ था, न कि पार्टी आलाकमान के खिलाफ। उन्होंने कहा कि खड़गे पैनल ने स्पष्ट किया है कि पंजाब में अगले साल का विधानसभा चुनाव सोनिया गांधी और राहुल गांधी की अगुवाई में लड़ा जायेगा। तो अब हरीश रावत जवाब दें कि इसका निर्णय कब लिया गया। जब पैनल ने कहा है कि चुनाव की अगुवाई सोनिया गांधी और राहुल गांधी करेंगे तो कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व की क्या ज़रूरत है। परगट ने आगे कहा कि तीन महीने पहले जब सभी विधायकों ने दिल्ली जाकर कांग्रेस आलाकमान द्वारा बनाई गई तीन सदस्यीय समिति से मुलाकात की थी तो ये बात तय हो गई थी कि पंजाब विधानसभा चुनाव का नेतृत्व राहुल गांधी और सोनिया गांधी करेंगे। अब अगर हरीश रावत यह कह रहे हैं कि चुनाव कैप्टन अमरिंदर की अगुवाई में लड़ा जाएगा तो वो ये बताएं कि ये निर्णय कब लिया गया। परगट सिंह ने ये भी कहा कि हरीश रावत उनके अच्छे मित्र हैं लेकिन पार्टी का इतना बड़ा निर्णय लेने का अधिकार उन्हें किसने दिया। परगट सिंह का कहना है कि हरीश रावत के इस बयान का असर पंजाब के मतदाताओं पर हुआ है।
बता दें कि हरीश रावत बहुत जल्द पंजाब आने वाले हैं और ऐसे में परगट सिंह ने उन्हें लेकर ऐसा बयान दिया है। हरीश रावत पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह से मुलाकात करेंगे। हालांकि हरीश रावत बार-बार अपना पद छोड़ने की बात भी कह रहे हैं। दरअसल अगले साल उत्तराखंड में भी विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और हरीश रावत वहां मुख्यमंत्री का चेहरा बनने के दावेदारों में से हैं। इसलिए वे पंजाब प्रदेश प्रभारी की ज़िम्मेदारी से मुक्त होकर उत्तराखंड पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं।