पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अक्सर भाजपा और अपनी सोच में अंतर होते हुए केंद्र और बिहार में सही शासन चलाने का दावा करते हैं। राजनीतिक जानकारों के अनुसार वे इस कथन के साथ यह दर्शाना चाहते हैं कि वे अपनी बात पर अटल खड़े रहते हैं। एक तरफ जहां आज अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन को एक साल हो गए हैं तो वहीं आज आर्टिकल 370 हटने के दो साल भी पूरे हो गए हैं। ऐसे में कई ऐसे मुद्दे हैं जिसमें जदयू और भाजपा एक साथ एनडीए में रहते हुए भी अलग-अलग राय रखते आएं हैं। इनमें राम मंदिर, अनुच्छेद 370, 35(A), तीन तलाक, NRC और असम नागरिकता संशोधन बिल आदि शामिल है।
पेगासस जासूसी मतलब को लेकर विपक्ष और केंद्र के बीच घमासान जारी है। संसद के मानसून सत्र के पहले दिन से ही पेगासस को लेकर विपक्ष ने मोर्चा खोल रखा है। ऐसे में नीतीश कुमार भी विपक्ष के साथ है और इसी विषय पर नीतीश कुमार जांच करवाने की मांग भी कर रहे हैं। इससे यह तो साफ हो गया है कि नीतीश कुमार अब भी विपक्ष की राजनीति में विराजमान है। कई बार ऐसे मामले सामने आए हैं जब नीतीश कुमार भाजपा से परे हो कर बात करते नज़र आए हैं। लेकिन विपक्ष उनके इस व्यवहार को धोखा समझता है और मानता है कि यह लोगों को भ्रम में डालकर वोट बटोरने की नीति है। लेकिन सियासत के आरोप से हटकर देखा जाए तो सच्चाई यही है कि नीतीश कुमार विपक्ष में रहकर राजनीति करना पसंद करते हैं। नीतीश कुमार ने पेगासस मामले को लेकर मीडिया से बात करते हुए यह भी कहा था कि इस मामले की निश्चित रूप से जांच की जानी चाहिए ताकि सच्चाई सबके सामने आ सके। अगर कोई भी किसी को परेशान करने के लिए इस तरह के काम करता है तो यह गलत है और इस पर बहस होने की ज़रूरत है। इसके अलावा जातीय जनगणना को लेकर भी नीतीश कुमार अलग ही सुर में चल रहे हैं। उन्होंने स्वयं 1990 में ही जातीय जनगणना की मांग की थी और उन्होंने इस संबंध में उस समय के प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह को पत्र लिखा था। नीतीश कुमार हमेशा से ही जातीय जनगणना की मांग करते आए हैं। जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी उन्होंने प्रस्ताव पारित किया और जातिगत जनगणना की मांग की थी। बता दें कि फरवरी 2019 और 2020 में भी इस प्रस्ताव को बिहार विधानसभा में भेजा गया था लेकिन केंद्र सरकार ने तब भी इसे खारिज कर दिया था। अब जब तेजस्वी यादव भी इस मुद्दे को निकाल कर बैठे है तो नीतीश कुमार भी उनके सुर में सुर मिला रहे हैं। तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर जातीय जनगणना की मांग करने की सलाह दी।
गौरतलब है कि साल 2021 में ही उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण बिल का मसौदा तैयार किया गया जिसके बाद नीतीश कुमार ने कहा कि इस कानून के माध्यम से जनसंख्या पर काबू नहीं किया जा सकता है। बल्कि इसके लिए महिलाओं को शिक्षित और जागरूक करना होगा। हालांकि नीतीश कुमार के इस बयान पर गठबंधन में ही खूब घमासान मचा। भाजपा के कई नेताओं ने उनसे इस विषय पर बात की लेकिन नीतीश कुमार अपने स्टैंड पर का बने रहे।