नई दिल्ली: कृषि कानूनों को लेकर प्रदर्शन जारी है। इस संबंध में हरियाणा किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि अगर किसान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आवास घेर लें तो केंद्र सरकार के पास क्या रास्ता बचेगा। चढ़ूनी ने दावा किया है कि कृषि कानूनों के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन में 650 किसानों की जान गई है और 37 हज़ार से ज़्यादा लोगों पर मुकदमें दायर किए जा चुके हैं।
गुरनाम सिंह चढ़ूनी का कहना है कि पूरे देश भाजपा को हराने की होड़ लगी है लेकिन एक सच ये है कि इसकी क्या गारंटी है कि जो दूसरी सरकार आएगी वो हमारी मांगों को पूरा करेगी। चढ़ूनी ने आगे कहा कि वो किसान मोर्चा के साथ हैं लेकिन कुछ मामलों में मेरी राय थोड़ी अलग है। अगर हम 50 हज़ार, पांच लाख या दस लाख किसान मिलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास का घेराव कर लें तो उनके पास क्या कोई दूसरा रास्ता बचेगा। क्योंकि कानून तो ये नहीं कहता कि आम जनता को गोली मार दो। इसके बाद तो उन्हें हमारी मांग पूरी करनी ही होगी। क्योंकि भाजपा के चले जाने से हमारी मांगे मान ली जाएंगी ये बात मेरी समझ नहीं आती। हम अपने लोगों को चुनाव में उतार कर सरकार बना सकते हैं क्योंकि असली कमी तो नीतिकारों की है। वहीं दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर गुरुवार को अखिल भारतीय किसान सम्मेलन की शुरुआत की गई है। जिसमें तीन कृषि कानूनों के विरोध में हो रहे आंदोलन को पूरे भारत में फैलाने पर चर्चा की गईं। दरअसल किसानों के इस प्रदर्शन को अब 9 महीने हो चुके हैं और इसी उपलक्ष्य में भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने दो दिवसीय आंदोलन का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि ये बहुत दुख की बात है अब 9 महीने के बाद भी सरकार किसानों से बात करने को राज़ी नहीं है। लेकिन हमलोग हार नहीं मानेंगे और इस सम्मेलन के दौरान हम यह जानेंगे कि आखिर इन नौ महीनों में हमने क्या खोया और क्या पाया। जानकारी के मुताबिक इस सम्मेलन में 22 राज्यों से 300 किसान और कृषि मज़दूर संगठन, 18 अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन, 9 महिला संगठन और 17 युवा छात्र संगठनों ने हिस्सा लिया है। इस संबंध में संयुक्त किसान मोर्चा ने वक्तव्य जारी करते हुए बताया है कि सम्मेलन के पहले दिन तीन सत्रों का आयोजन किया गया था। पहले सत्र में कृषि कानूनों पर चर्चा हुई, दूसरे सत्र में औद्योगिक श्रमिकों पर बात हुई। वहीं तीसरे सत्र में कृषि मज़दूरों, ग्रामीण क्षेत्रों के गरीबों और जनजातीय मुद्दों पर बात हुई।
वहीं कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों के लिए राष्ट्रीय खाद्य एवं पोषण अभियान शुरू किया। उन्होंने कहा कि हमारे किसानों और वैज्ञानिकों में इतनीं क्षमता है कि अगर वे विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करें तो देश जिंसों में पहले या दूसरे स्थान पर आ सकता है। देश ने खाद्यान्न के क्षेत्र में बड़ी सफलता प्राप्त की है। बता दें कि कृषि कानूनों के विरोध में 9 महीने से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन जारी है। इस संबंध में केंद्र सरकार और किसानों के बीच 10 दौर की बैठक भी हुई लेकिन इसका कोई हल नहीं निकला।