दुनिया में ऐसे बहुत से रहस्य हैं जिनको समझने की जितनी भी कोशिश की गयी, वह कोशिश भी दुनियावालों के लिए सिर्फ रहस्य ही रह गयी। ऐसा ही एक रहस्य है बरमूडा ट्रायंगल।
क्या है बरमूडा ट्रायंगल ?
अटलांटिक सागर में 5 लाख स्क्वायर किलोमीटर में फैले एक हिस्से को बरमूडा ट्रायंगल कहते हैं। इसके ट्रायंगल आकार की वजह से इसे बरमूडा ट्रायंगल नाम दिया गया है। इस ट्रायंगल का दायरा वक़्त के साथ कम -ज़्यादा होता रहता है।
क्या रहस्य है बरमूडा ट्रायंगल का ?
बरमूडा ट्रायंगल का बड़ा रहस्य यह है कि अब तक इस ट्रायंगल से गुजरने वाले 2000 से ज़्यादा छोटे-बड़े जहाज और 200 से ज़्यादा हवाई जहाज़ गहरे समुन्दर में विलीन हो चुके हैं। जिसमे हज़ारों लोगों कि जान भी जा चुकी है। यही कारण है कि यह बरमूडा ट्रायंगल अब तक एक मिस्ट्री, एक बड़ा रहस्य बना हुआ है। हर किसी को गुमनाम बना देने वाले इसी डरावने रहस्य कि वजह से इसे डेविल ट्रायंगल के नाम से भी जाना जाता है ।
किसने की थी बरमूडा ट्रायंगल की खोज ?
बरमूडा ट्रायंगल कि सबसे पहले खोज क्रिस्टोफर कोलंबस ने की थी, लेकिन 1970 में एक पायलट ने इस डेविल ट्रायंगल से निकल कर अपनी जान बचायी और कुछ ऐसे रहस्यों को उजागर किया जिसे जान के पूरी दुनिया हैरान रह गयी।
बरमूडा ट्रायंगल से वापस आने वाले पायलट की कहानी
4 दिसंबर 1970 को उन्होंने एक छोटे से एयरपोर्ट से एक छोटे से हवाई जहाज़ बोनांजा बीचक्राफ्ट ने मियामी के लिए उड़ान भरी। उस छोटे से एयरक्राफ्ट में उस पायलट के अलावा एक बिजनेसमैन और उसका बेटा बैठा हुआ था। पायलट, 500 किलोमीटर के सफर को 90 मिनट्स में पूरा करने वाला था। उस एयरक्राफ्ट की मैक्सिमम स्पीड 290 किलोमीटर परआवर्स थी। आसमान में मौसम एकदम साफ़ था , एयरक्राफ्ट को चलाने वाला पायलट भी काफी अनुभवी था उसके पास 600 घंटे प्लेन उड़ाने का अनुभव था। एयरक्राफ्ट कुछ ही मिनट चलने के बाद अचानक पायलट को फील होता है की वो काले बादलों के बवंडर में फंस गया।
लेकिन 30 सेकंड के बाद ही पायलट उस घने बादलों के बवंडर से बाहर निकल आता है। वह सोचता है की शायद संकट टल गया लेकिन उसकी यह सोच सिर्फ एक छलावा थी क्यूंकि यह तो सिर्फ एक शुरुआत थी। वह आगे बढ़ता है और आगे उसे और भी घने बादल मिलते हैं । हवाई जहाज़ 11500 फुट की ऊंचाई पर था और मिआमी की तरफ तेज़ी से बढ़ा जा रहा था। अभी १०-१२ मिनट ही हुए होंगे की पायलट उन बादलों के जाल में बुरी तरह फंस जाता है, लगभग 5 मिनट के बाद काले बादलों के बीच हवाई जहाज़ के सामने बिजलियाँ कड़कने लगती हैं। पायलट आगे बताता है कि उन बादलों के बीच सूर्य की हल्की रौशनी तक नहीं थी। पायलट उन विषम हालातों में अपनी हिम्मत हारता जा रहा था लेकिन उसे तो उन हालातों से बाहर निकलना था इसलिए उसने अपनी हिम्मत को हारने नहीं दिया। पायलट को अब अंदेशा होने लगा था कि वह उस भूल भलैया में बुरी तरह फंस गया है जिसमे अब तक 2000 से ज्यादा जहाज़ और 500 से ज्यादा हवाई जहाज़ कहीं गुम हो चुके हैं।
अब तक हवाई जहाज़ को बादलों में 25 मिनट से भी ज्यादा का टाइम हो चुका था लेकिन बादल छटने का नाम नहीं ले रहे थे। वह पायलट चाह कर भी अपने हवाई जहाज़ को सही दिशा में नहीं ले जा पा रहा था। हवाई जहाज़ तेज़ी से सीधी दिशा में निकलता जा रहा था तभी पायलट को बादलों के बीच हल्की रौशनी दिखती है वह तेज़ी से बाहर निकलने कि कोशिश करता है लेकिन तभी हवाई जहाज़ के सारे इक्विपमेंट्स अजीब व्यवहार करने लगते हैं।
ऐसे हालात में पायलट का दिमाग सुन्न सा हो जाता है उसको कुछ समझ नहीं आ रहा होता है। उस नाज़ुक वक़्त में काले बादलों के बीच करीब २० मिनट भटकने के बाद हवाई जहाज़ बादलों से बाहर निकल आता है। पायलट किसी तरह उस भयानक काले बवंडर से बाहर तो निकल आता है लेकिन तभी एक अजीबो गरीब घटना घटती है , एयर ट्रैफिक कण्ट्रोल रूम में इस हवाई जहाज़ की लोकेशन शो नहीं होती है। ये अजीबो गरीब घटना यहीं नहीं रुकी, यह हवाई जहाज़ सिर्फ 45 मिनट में ही मियामी पहुँच गया, जिस सफर को उसको 90 मिनट में तय करना था।
अजीबो गरीब घटनाओं का सिलसिला यहीं नहीं थमा, मिआमी जाकर जब पायलट ने हवाई जहाज़ का फ्यूल देखा तो उसके होश उड़ गए क्यूंकि इतना सफर तय करने के बावजूद भी फ्यूल आधे से भी कम खर्च हुआ था। पायलट सहित बाकी लोगों के दिमाग में भी यह सवाल एक रहस्य बना था की ये हुआ तो आखिर हुआ कैसे ? कितना भी अच्छा पायलट क्यों न हो उस हवाई जहाज़ को कोई भी 290 किलोमीटर प्रति घंटा से तेज़ नहीं भगा सकता था और सबसे बड़ा सवाल कि 500 किलोमीटर का सफर मात्र 47 मिनट में कैसे संभव है। उस पायलट कि आप बीती जानने के बाद काफी रिसर्च की गयी और उसमें एक बात तो साफ़ हो गई कि बरमूडा ट्रायंगल में कोई हादसा नहीं होता बल्कि वहां समय की यात्रा से निकलने का कोई मार्ग है। जिसे हर कोई नहीं समझ पाता और उन्हीं काले घने बादलों और कड़कती बिजलियों के बीच हमेशा हमेशा के लिए खो जाता है।