लखनऊ: बाराबंकी में 100 साल पुरानी मस्जिद को ज़मीदोज़ करने के मामले में दर्ज एफआईआर पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है। मस्जिद कमेटी पर दर्ज की गई इस एफआईआर को हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है। फिलहाल उच्च न्यायालय ने एफआईआर रद्द किए जाने की अपील करने वाली याचिका पर राज्य सरकार को जवाब देने का आदेश दिया है। राज्य सरकार को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के उच्च न्यायालय द्वारा लिए तीन हफ्ते का समय दिया गया है।
मालूम हो कि बाराबंकी के रामसनेहीघाट तहसील में बनी मस्जिद जो 100 साल पुरानी थी कुछ दिनों पहले प्रशासन ने उसे ज़मींदोज कर दिया था। इसके अतिरिक्त फ़र्जी तरीके से इस मस्जिद को सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड की सम्पत्ति के रूप में दर्ज करवाने का आरोप लगाते हुए प्रशासन ने मस्जिद कमेटी पर केस भी दर्ज किया है। प्रशासन का दावा है कि अवैध तरीके से मस्जिद को वक़्फ़ बोर्ड की संपत्ति घोषित किया गया है। बता दें कि जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी द्वारा दर्ज की गई शिकायत पर सुन्नी सेंट्रल बोर्ड के निरीक्षक पर मुकदमा दायर किया गया था। इसके साथ ही 8 अन्य लोगों का नाम भी शामिल है। इस मसले को समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने भी उठाया था।
फिलहाल तहसील परिसर में शासकीय संपत्ति पर अवैध तरीके से मस्जिद बनाने और फर्जी दस्तावेज के आधार पर सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड की संपत्ति घोषित कराए जाने के संदर्भ में प्रशासनिक स्तर पर त्रिस्तरीय जांच समिति बनाई गई है। शिवाकान्त द्विवेदी इस समिति की अध्यक्षता करेंगे।