बिहार (Bihar) में इन दिनों जातीय जनगणना (Caste Based Census) का मामला उफान पर है। इस मामले में अब बिहार के पूर्व मुख्य मंत्री और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के नेता जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) की भी एंट्री हो चुकी है।
मांझी ने ट्वीट कर पूरे मामले में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए विपक्ष के सुर से सुर मिलाते हुए सरकार से सवाल खड़े किये हैं। मांझी ने सरकार पर पिछड़ी जातियों की हकमारी का भी आरोप लगाया है। एक अखबार में छपी ख़बर का हवाला देते हुए मांझी ने कहा कि जाति आधारित मुल्क में गधों की गिनती हो सकती है पर जातियों की गिनती नहीं हो सकती?
जाति आधारित मुल्क में गधों की गिनती हो सकती है पर जातियों की गिनती नहीं हो सकती?
“कुछ” लोगों को डर है कि अगर जातियों की गिनती हो गई तो दुनियां को पता लग जाएगा कि हमारे यहां किन लोगों ने किनकी हक़मारी कर देश का विकास रोक रखा है।
“सब बढेगें तो देश बढेगा” pic.twitter.com/cEMbqBrNEb— Jitan Ram Manjhi (@jitanrmanjhi) May 10, 2022
मांझी ने ट्वीट में लिखा कि “कुछ” लोगों को डर है कि अगर जातियों की गिनती हो गई तो दुनिया को पता लग जाएगा कि हमारे यहां किन लोगों ने किसका कितना हकमार कर देश का विकास रोक रखा है। “सब बढ़ेगें तो देश बढ़ेगा।”
केंद्र की ओर से प्रस्ताव नामंजूर होने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) ने राज्य में अपने खर्च से कास्ट बेस्ड सेंसस कराने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाई जाएगी, जिसमें उक्त कार्य को कराने की रणनीति तय की जाएगी।
कई महीने बीत जाने के बावजूद अब तक नीतीश ने बैठक नहीं बुलाई है, जिसको लेकर बिहार की विपक्षी पार्टियां विशेषकर राष्ट्रीय जनता दल पूरी तरह से सरकार पर हमलावर है। इसी क्रम में मंगलवार को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने जातीय जनगणना के मुद्दे पर राज्यभर में पदयत्रा करने की घोषणा की थी। साथ ही सीएम नीतीश को अल्टीमेटम भी दिया था कि वे अपना इरादा स्पष्ट करें कि वे जातीय जनगणना कराने के संबंध में क्या विचार रखते हैं, इसके बाद कल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव को बुला कर लम्बी बैठक की और इस ओर सही दिशा में बढ़ने का विशवास दिलाया।