कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री को इंतज़ार करवाने के मामले में कहा कि ये बिल्कुल अनिवार्य नहीं है कि हर बार मुख्यमंत्री ही प्रधानमंत्री को रिसीव करे। ममता का कहना है कि मीटिंग में स्वयं उन्हें प्रधानमंत्री की प्रतीक्षा करनी पड़ी थी। ममता के अनुसार जब वे सागर पहुंची तो उन्हें जानकारी मिली कि प्रधानमंत्री का जहाज उतरना शेष है और उन्हें 20 मिनट इंतेज़ार करना पड़ा।
प्रधानमंत्री को मीटिंग में प्रतीक्षा कराने के आरोपों से तंग आकर अब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। ममता बनर्जी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि ये कोई ज़रूरी तो नहीं कि हर बार मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री को रिसीव करे। कभी-कभी राजनीतिक तमाशे भी होते हैं। उन्होंने आगे बताया कि उन्हें खुद प्रधानमंत्री का हेलीकॉप्टर न उतरने की वजह से मीटिंग में 20 मिनट तक इंतजार करना पड़ा। ममता ने फिर कहा कि प्रधानमंत्री हमारा शेड्यूल जानते थे इसके अतिरिक्त उन्होंने इंतज़ार करवाया। उन्होंने हेलीपैड पर प्रधानमंत्री की प्रतीक्षा की, उनका विमान 15 मिनट तक हवा में रुका रहा। ममता ने साफ करते हुए कहा कि हालांकि उन्हें इससे कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि यह मामला प्रधानमंत्री की सुरक्षा का है। ममता बनर्जी आगे कहती हैं कि जब वह मीटिंग में पहुंची तो PM मोदी वहां उपस्थित थे। वे अपने मुख्य सचिव के साथ मीटिंग में पहुंची किंतु उन्हें वहां एक घन्टा इंतज़ार करना पड़ा।
इसके अतिरिक्त शुभेंदु अधिकारी को मीटिंग में बुलाये जाने के मामले को लेकर भी ममता ने स्पष्टीकरण दिया। ममता ने कहा कि उन्हें इस बात से कोई आपत्ति नहीं कि मीटिंग में कोई विधायक आए या विपक्ष नेता। क्योंकि बैठक मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के मध्य नहीं थी। यह बात और है कि पहले यही निर्णय लिया गया था जिसे बाद में संशोधित कर दिया गया।
ममता ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री को सम्मान देने के लिए वे उनकी अनुमति से उनके कमरे में गई और उन्हें शिष्टतापूर्वक कागज़ सौंपे। ममता ने कहा कि पिछले हफ्ते गुजरात में हुई बैठक में प्रधानमंत्री ने विपक्ष के नेताओं को क्यों आमंत्रण नहीं दिया, न ही ओडिशा में किसी विपक्ष के नेता को आमंत्रण दिया गया। इसके साथ ही ममता बनर्जी ने ये भी कहा कि प्रधानमंत्री जब भी उनके राज्य आते है तो भ्रम पैदा करते है।