प्रयागराज: साधु-संतों की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष मंहत नरेन्द्र गिरी की अंतिम यात्रा का दर्शन करने के लिए सड़कों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। पोस्टमार्टम के बाद श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी लाए जाने के बाद महंत के पार्थिव शरीर का श्रृंगार किया गया फिर फूलों से सजे वाहन में पार्थिव शरीर को रखकर अंतिम यात्रा निकाली गयी। अंतिम यात्रा को दारागंज होते हुए संगम ले जाया गया। वहां उनके पार्थिव शरीर पर गंगा जल का छिडकाव करने के बाद वापसी में किला के निकट स्थित बड़े हनुमान मंदिर के पास लोगों के दर्शनार्थ यात्रा को थोड़ी देर रोककर पुन: मठ बाघम्बरी गद्दी लाया गया।
तपोनिधि निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने महंत नरेन्द्र गिरी के सुसाइड नोट को एक साजिश बताया है। श्रद्धांजलि यात्रा में शामिल स्वामी कैलाशनंद ने कहा कि मंहत नरेन्द्र गिरी ज्यादा पढ़े लिखे नहीं नहीं थे। वह बड़ी मुश्किल से दस्तखत कर पाते थे। यह सुसाइड़ नोट एक गहरी साजिश है, इसका खुलासा होना आवश्यक है। उन्होने कहा कि महंत नरेन्द्र गिरी के निधन से धर्म की क्षति हुई है। उन्हाेने कहा कि महंत नरेन्द्र गिरी को वह बहुत नजदीक से जानते हैं। वह बड़ी मुश्किल से दरस्तखत कर पाते थे। इतना लम्बा चौड़ा सुसाइड नोट उन्होने कैसा लिखा, यह आश्चर्य कि बात है।
इसके अलावा तपोनिधि निरंजनी के सहयोगी आनंद अखाड़े के पीठाधीश्वर स्वामी बालकानंद गिरि ने भी महंत के सुसाइड नोट को एक साजिश बताया है। उन्होने दावा किया सुसाइड नोट की लिखावट उनकी नहीं हो सकती क्योंकि वह बड़ी मुश्किल से दस्तखत कर पाते थे। श्रद्धाजंलि यात्रा में शामिल अखाड़ों के बड़े संतों ने भी उनकी लिखावट पर संदेह जाहिर किया है।