Kalpana Chawla 19th Death Anniversary: आज के समय में भारत की बेटियां हर क्षेत्र में अपना मुकाम बना रही हैं और पुरषों के कंधे से कंधा मिलकर चल रही हैं। आजकल की महिलाऐं घर चलाने से लेकर देश चलाने तक, पहाड़ों पर चढ़ने से लेकर हवा में फाइटर प्लेन उड़ाने तक में अपनी भागीदारी दे रही हैं।
फिलहाल ये तो बात रही आजकल की मॉडर्न महिलाओं की, लेकिन अगर सोचा जाए की महिलाओं को इतना आगे बढ़ाया किसने तो आप कहेंगे ये उनकी मेहनत और लगन है लेकिन कहीं न कहीं अब की महिलाओं को आगे बढ़ने, देश और समाज के लिए कुछ करने की प्रेरणा देने में इतिहास की कई महिलाओं का बड़ा हाथ रहा है।
जी हाँ, आज देश का बच्चा-बच्चा कल्पना चावला (Kalpana Chawla 19th Death Anniversary) का नाम जानता है। वह अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली पहली भारतीय महिला थीं। उनकी ये कामयाबी न केवल महिलाओं के लिए प्रेरणा बनी, बल्कि पूरे भारत के लिए मिसाल बनी जिससे भारत देश का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। आज कल्पना चावला की 19 वीं पुण्यतिथि है।
1 फरवरी 2003 को कोलंबिया स्पेस शटल के दुर्घटनाग्रस्त होने के साथ ही यान में सवार सभी अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई थी। इनमें से एक कल्पना चावला भी थीं। बेशक आज ही के दिन कल्पना निधन हुआ था, लेकिन वह पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बनी।
कौन थी कल्पना चावला (Kalpana Chawla 19th Death Anniversary)
17 मार्च 1962 में हरियाणा के करनाल (Kalpana Chawla 19th Death Anniversary) में जन्मी भारत का नाम रोशन करने वाली बेटी कल्पना चावला का निकनेम मोंटू था। उनकी शुरुआती पढ़ाई करनाल के टैगोर बाल निकेतन सीनियर सेकेंडरी स्कूल से हुई। कल्पना बचपन से ही फ्लाइट इंजीनियर बनने चाहती थी। उनको लगता था कि इंजीनियर फ्लाइट डिजाइन करते हैं। उन्होंने अपने सपने को पूरा करने लिए पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया। पढ़ाई पूरी की तो उन्हें नौकरी के ऑफर भी मिलने लगे। लेकिन इस दौरान कल्पना अंतरिक्ष पर जाने के सपने देखने लगी थीं।
20 साल की उम्र में आगे की पढ़ाई करने के लिए कल्पना अमेरिका चली गईं। यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास से उन्होंने दो सालों में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल की और अपने सपने के एक कदम और करीब आ गईं। इसके बाद साल 1986 में कल्पना ने दूसरी मास्टर्स डिग्री हासिल की और 1988 में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में उन्होंने पीएचडी की। अब उनके पास कमर्शियल पायलट का लाइसेंस भी था। कल्पना सर्टिफाइड फ्लाइट इंस्ट्रक्टर थीं। कल्पना ने फ्रांस के जान पियरे से शादी की, जो एक फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर थे।
कैसे बनी कल्पना अंतरिक्ष में जाने वाली पहली महिला
कल्पना ने साल 1993 में नासा में पहली बार अप्लाई किया, लेकिन तब उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया था।इसके बाद भी कल्पना ने हार नहीं मानी और साल 1995 में नासा ने कल्पना चावला का चयन अंतरिक्ष यात्री के तौर पर किया। अब कल्पना चावला का सपना पूरा होने वाला था। साल 1998 में कल्पना को पहली उड़ान के लिए चुना गया। कल्पना ने अंतरिक्ष की पहली यात्रा के दौरान 372 घंटे बिताए। इस घटना के बाद उनका नाम इतिहास में दर्ज हो गया और वह अंतरिक्ष पर जाने वाली भारत की पहली महिला बन गईंं।