पटना: बिहार में धर्मांतरण का मुद्दा गरमाता नज़र आ रहा है। कमज़ोर समुदाय तेज़ी से अपना धर्म बदल रहे हैं। गया के कई जिलों में लोग हिन्दू धर्म छोड़कर ईसाई धर्म अपना रहे हैं। गया के नैली पंचायत के दुबहल गांव में महादलित टोला और डोभी प्रखंड में सैंकड़ों लोग मिशनरी प्रार्थना सभा में शामिल हो रहे हैं। इस तरह लोगों के भारी संख्या में धर्मांतरण करने पर सवाल खड़े हो रहे हैं। लोग धर्मांतरण के सही या गलत होने पर सवाल कर रहे हैं। ये लोग लोभ लेकर दूसरे धर्म अपना रहे हैं। यही कारण है कि धर्मांतरण एक चिंता का विषय बनता जा रहा है।
धर्मांतरण के मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने बयान दिया है। उन्होंने धर्मांतरण का मुख्य कारण बताया है कि आखिर लोग क्यों अपना धर्म बदल रहे हैं। उन्होंने कहा कि धर्म के अंदर जो भेदभाव किया जा रहा है यही लोगों के धर्म बदलने का मुख्य कारण है। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जब अपने घर में मान नहीं मिलता तो बदलाव होना स्वाभाविक है। उनके कहने का तात्पर्य यह था कि जब अपने घर में सम्मान और मर्यादा नहीं मिलती तो लोग वहां जाते ही हैं जहां उन्हें सम्मान मिल रहा होता है। यह बात तो घर के मालिक को समझने की ज़रूरत है कि लोग वह घर छोड़कर क्यों जा रहे हैं। जीतन राम मांझी ने आगे कहा कि धर्मों के अंदर होने वाला भेदभाव धर्म बदलने की वजह है। क्योंकि जब अपने घर में सम्मान नहीं मिलेगा तो लोग तो दूसरे घरों में जाएंगे ही। उन्होंने कहा कि हालांकि धर्म बदलने से भारत की एकता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और न ही इसे कोई खतरा होगा क्योंकि भारत तो धर्मनिरपेक्ष देश है। भारत में अपने मन के अनुसार किसी भी धर्म का पालन और प्रचार करने की स्वतंत्रता है। इसलिए कौन किस धर्म को अपना रहा है मेरी नज़र में यह कोई परेशानी की बात है ही नहीं।
धर्मांतरण को लेकर अपने कथन पर उन्होंने कहा कि जिस धर्म में लोग हैं वहां उनका विकास संभव नहीं होगा क्योंकि आप छुआछूत की बात करते हैं। मांझी ने कहा कि जब जब घर लचीला हुआ है तब तब उस धर्म का प्रचार हुआ है। लेकिन जब धर्म रिजिट हुआ तब उस धर्म का सर्वनाश ही हुआ है। यही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने बारे में बताया कि जब वे किसी मंदिर में जाते हैं तो उनके मंदिर से निकलने के बाद उस मंदिर को धो दिया जाता है। तो इन सब को क्या समझा जाए?