पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आजकल कुछ बदले-बदले से लग रहे है। जबसे उन्होंने पेगासस को लेकर बयान दिया है तबसे ही उनके तेवर कुछ अलग लग रहे हैं। क्योंकि पेगासस मामले को लेकर नीतीश कुमार ने इस मामले की जांच करने और इस पर बहस करने को लेकर दबाव बनाए जाने की बात कही थी। लेकिन इसके अलावा उनके कामकाज में भी काफी परिवर्तन नज़र आ रहा है, अब चाहे बात बालू माफियाओं की हो या बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई किए जाने की हो या फिर आर्थिक अपराध इकाई के जरिये अवैध कमाई करने वालों पर कड़ा रुख अपनाने की ही बात क्यों न हो।
बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अवैध बालू खनन मामले में 17 अधिकारियों को सस्पेंड किया है। सस्पेंड किए गए अधिकारियों में दो आईपीएस अधिकारी भी शामिल है। बताया जा रहा है कि इस मामले में यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है। इस मामले को लेकर नीतीश कुमार ने मंगलवार को 5 जिलों का सड़क मार्ग से दौरा भी किया। उन्होंने इस दौरान यह मुआयना भी किया कि कोरोना काल मे प्रोटोकॉल का कितनी गंभीरता से पालन किया जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि बिहार में 6 अगस्त से अनलॉक 3 की प्रक्रिया शुरू की जानी है, ऐसे में नीतीश कुमार दौरा करके यह आंकलन करना चाहते हैं कि अब अनलॉक 3 में कितनी छूट दी जानी है। इसके अतिरिक्त नीतीश कुमार ने 6 सालों के बाद जनता दरबार की भी शुरुआत की है। जिसमें वे स्वयं जनता से मिलकर उनकी परेशानियां सुन रहे हैं और उसी समय समस्या का समाधान भी कर रहे हैं। गौरतलब है कि बिहार में नीतीश कुमार का 2005 से 2010 का कार्यकाल सबसे अच्छा माना जाता है। लेकिन उसके बाद उन्होंने 2010 में भाजपा छोड़कर राजद का हाथ थाम लिया था। लेकिन फिर 2015 में वे भाजपा में चले गए। इससे यह तो साफ है कि उन्होंने इस दौरान कामकाज पर कम और राजनीति पर ज़्यादा ध्यान दिया। शायद यही कारण है कि अब नीतीश कुमार 2020 से 2025 के कार्यकाल में काम पर ज़्यादा से ज़्यादा ध्यान देने की कोशिश में जुटे हैं। अब पेगागस का मुद्दा है या फिर जातिगत जनगणना का मसला कम सीटों पर हक होते हुए भी नीतीश कुमार ने भाजपा को आइना दिखा दिया है। यही नहीं नीतीश कुमार के इन मुद्दों को लेकर जो विचार हैं वे लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद से मिल रहे हैं।
अब नीतीश कुमार के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने पुराने अवतार में लौटना है। इसके अतिरिक्त नीतीश सरकार जो भी कानून बना रही है उसके सख्ती से पालन किए जाने की निगरानी करना भी नीतीश कुमार की ज़िम्मेदारी है। नीतीश कुमार ये समझ चुके है की अगर उन्हें 2020 से 2025 तक के कार्यकाल को मिसाल बनाना है तो उसके लिए उन्हें बहुत कुछ बदलना होगा। इस कड़ी में नीतीश कुमार ने पहल भी कर दी है।।