नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद कांग्रेस अब उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनावों की रणनीति तैयार करने में जुट गई है। कांग्रेस अब गठबंधन का विकल्प चुनती नज़र आ रही है। बता दें कि कांग्रेस नेताओं का कहना है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा को पराजित करने के लिए क्षेत्रीय दलों का साथ ज़रूरी है। इसलिए उनके साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरना होगा।
उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर सियासी हलचल तेज़ हो गई है। कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि हाल ही में 5 राज्यों में हुए चुनाव परिणामों से सीख लेते हुए पार्टी को क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन कर लेना चाहिए। केरल और असम जैसे राज्यों में जहां कांग्रेस के सत्ता में वापसी की सबसे अधिक आशा थी, पार्टी वहां भी कुछ न कर सकी। इसलिए कांग्रेस को अकेले उत्तर प्रदेश जीतने का सपना छोड़ वास्तविकता के साथ मैदान में उतरना चाहिए। मालूम हो कि हाल ही में हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस की हार हुई थी। लेकिन अब भाजपा के लिए उत्तर प्रदेश को महत्वपूर्ण मानते हुए कांग्रेस का पूरा ध्यान उत्तर प्रदेश के अपने परंपरागत मतदाता और मुस्लिम मतदाता पर हैं। क्योंकि प्रदेश में मुस्लिम मतदाता अभी भी अलग-अलग दलों को वोट दे रहे हैं। हालांकि पश्चिम बंगाल में मुस्लिमों ने एकजुट होकर एक दल को वोट दिया। इस लिहाज से उत्तर प्रदेश में भी यह सम्भव है। पार्टी के कुछ नेताओं के अनुसार भाजपा के विरुद्ध
मतदाता उसी पार्टी को मतदान करेंगे जिसकी सत्ता में आने की संभावना हो और कांग्रेस वर्तमान इस स्थिति में नहीं है। इसलिए कांग्रेस को अब गठबंधन पर विचार करना चाहिए।
इसके साथ ही कुछ नेता गठबंधन का समर्थन देते नज़र नहीं आ रहे हैं। उनके अनुसार गठबंधन के कारण समाजवादी पार्टी को साल 2017 में नुकसान हुआ था। इन नेताओं ने यह राय भी दी कि किसी क्षेत्रीय दल के स्थान पर छोटे दलों को साथ लिया जाना चाहिए। कांग्रेस को साल 2012 में 28 सीटों पर करीब 12 प्रतिशत और साल 2017 के चुनावों में केवल 6 प्रतिशत ही वोट मिले थे, ऐसे में कांग्रेस को गठबंधन के स्थान पर पार्टी की मजबूती पर ध्यान देना चाहिए।