दिल्ली के अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान (AIIMS) में हुए साइबर अटैक (Cyber Attack) के एक सप्ताह बाद भी सर्वर डाउन ही है। हैकर्स ने बदले में 200 करोड़ रूपये की मांग रखी है। बता दें कि एम्स के कंप्यूटर्स पर रैनसमवेयर (Ransomware) नाम का साइबर अटैक हुआ है।
एक सप्ताह पहले एम्स पर हुआ था साइबर अटैक
23 नवंबर को सुबह 6:45 बजे एम्स पर साइबर अटैक हुआ था तब ही से दिल्ली एम्स में ऑनलाइन सेवायें (Online Services) पूरी तरह बाधित है। फिलहाल एम्स में तमाम सेवाएं ऑफलाइन मोड (Offline Mode) में चलाई जा रही हैं। ऐसे में मैनुअल मोड में काम करने वाले कर्मचारियों की तादाद बढ़ाई गई है, ताकि दूर-दूर से आ रहे मरीजों को किसी तरह की पेशानियों का सामना न करना पड़े।
एम्स प्रशासन ने 2 कर्मचारियों को किया सस्पेंड
इस बीच इस साइबर अटैक मामले में आज एम्स प्रशासन ने 2 दो सिस्टम एनालिस्ट (System Analyst) को सस्पेंड कर दिया है। एम्स प्रशासन के जरिया दोनों को पहले कारण बताओ नोटिस दिया गया था, जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर एम्स प्रशासन ने दोनों कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया है। अब तक एम्स अस्पताल के 30 सर्वर में एंटी वायरस डालकर स्कैन किया जा चूका है, अब तक एम्स के 2000 कंप्यूटरों की स्कैनिंग हो पाई है। एम्स में कुल 5000 कम्प्यूटर्स से काम लिया जा रहा है।
एम्स प्रशासन ने डाटा का बैकअप लेने को कहा
एम्स प्रशासन ने सभी अस्पताल के सभी विभागाध्यक्षों व सभी सेंटरों के प्रमुख को आदेश जारी करते हुए कहा है कि वे अपने अपने कंप्यूटर से बैकअप डाटा (Backup Data) अलग हार्ड डिस्क में ले लें। एम्स प्रशासन द्वारा बताया गया है कि इस सप्ताह सभी कंप्यूटर को फॉर्मेट कर लिया जाएगा।
हैकर्स ने सर्वर रिलीज़ करने के लिए 200 करोड़ रूपये फिरौती मांगी
एम्स पर साइबर अटैक करने वाले हैकर्स ने एम्स के सर्वर रिलीज करने के बदले 200 करोड़ रुपये की फिरौती मांगी है। ख़ास बात ये है कि हैकर्स फिरौती की ये रक़म भारतीय करेंसी या अमेरिकी डॉलर्स में नहीं बल्कि वर्चुअल क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) में लेना चाहते हैं। हैकर्स के इस क़दम के पीछे मंशा ये है कि क्रिप्टोकरेंसी लेने से उन्हें ट्रेस नहीं किया जा सकेगा।
दिल्ली पुलिस और CERT-IN के एक्सपर्ट्स के साथ ही इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रेटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) डिविजन ने एम्स साइबर अटैक मामले में फिरौती का मुकदमा दर्ज किया है। एम्स में प्रति साल 38 लाख मरीज इलाज करवाते हैं, इस साइबर अटैक से मरीजों की डाटा चोरी होने की आशंका है।