दिल्ली दंगों (Delhi Riots) के मामले में जेल में बन्द छात्र नेता उमर खालिद की रिहाई की आज की उम्मीद भी ख़तम हो गई। उमर की जमानत अर्जी को आज दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
फरवरी 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई बड़ी हिंसा हुई थी जिसमे 50 से अधिक लोगों की जान चली गई थी, जबकि 700 से ज्यादा लोग ज़ख़्मी हो गए थे। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में उमर ख़ालिद को मुख्य साज़िशकर्ता बताते हुए गिरफ्तार किया था। दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की चार्जशीट में बताया गया था कि उमर कई ऐसे वॉट्स एप ग्रुप का हिस्सा थे, जिनके जरिए हिंसा की साज़िश रची जा रही थी।
पुलिस का आरोप है की उमर खालिद (Umar Khalid) ने लोगों को हिंसा के लिए भड़काया था। पुलिस का ये भी आरोप था की अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प की दिल्ली यात्रा के दौरान उम्र ने ने लोगों को सड़कों पर आने के लिए कहा था, ताकि विश्व स्तर पर भारत की छवि धूमिल हो सके।
पुलिस ने कहा था कि उमर खालिद ने हिंसा की साज़िश के लिए अन्य आरोपी पार्षद ताहिर हुसैन और खालिद सैफी के साथ गुप्त मीटिंग की थी।
दूसरी तरफ उम्र खालिद ने कोर्ट में बहस के दौरान पुलिस के द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को फ़र्ज़ी और मनगढ़ंत बताया। उमर के वकील ने कोर्ट में कहा था कि किसी मुद्दे पर अपनी आवाज़ उठाना अपराध नहीं है। उमर वॉट्स ग्रुप में थे ज़रूर लेकिन वो उन ग्रुप में कभी सक्रीय नहीं थे. ऐसे में क्या उनका चुप रहना उन्हें आरोपी साबित करता है। बचाव पक्ष की सभी दलीलों के बावजूद कोर्ट ने उमर की रिहाई पर फिलहाल रोक जारी रखी है।