नई दिल्ली: देश की शासन व्यवस्था के पवित्र दस्तावेज संविधान की 72 वीं वर्षगांठ के अवसर पर लोकतंत्र की सर्वोच्च संस्था संसद के केन्द्रीय कक्ष में आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में संविधान दिवस का आयोजन किया गया। राष्ट्रपति के संसद भवन पहुंचने पर उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू , प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी , लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी, केन्द्रीय मंत्रियों तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने कोविंद का स्वागत किया।
कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए संसदीय कार्यमंत्री श्री जोशी ने संवैधानिक हस्तियों का अभिनंदन किया और कहा कि 26 नवम्बर 1949 का देश के इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि इसी दिन देश के लोगों ने दुनिया के सबसे बड़े लिखित संविधान भारतीय संविधान को अंगीकार किया था। मोदी सरकार ने संविधान निर्माता कहे जाने वाले बाबा साहेब अंबेडकर की 125 वीं जयंती पर वर्ष 2015 में पहला संविधान दिवस मनाने की घोषणा की थी।
मोदी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आजादी के बाद देश को चलाने वाली सरकारों ने 26 नवम्बर के दिन के महत्व को प्राथमिकता नहीं दी और संविधान दिवस मनाने की परंपरा नहीं शुरू की। उन्होंने कहा कि नयी पीढी को इस दिन का महत्व समझाने के लिए संविधन दिवस मनाया जाना जरूरी है।
इस मौके पर कोविंद ने संविधान बनाने वाली संविधान सभा की चर्चाओं के डिजिटल संस्करण को भी जारी किया। उन्होंने संविधान की मूल प्रति का डिजिटल संस्करण भी जारी किया। साथ ही उन्होंने भारत का अद्यतन संविधान भी जारी किया। इसके अलावा उन्होंने संविधान पर ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी पोर्टल का शुभारंभ भी किया।