नई दिल्ली: कांग्रेस आलाकमान द्वारा नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाकर पार्टी ने यह तो बता दिया है कि सिद्धू और गांधी परिवार कितने नज़दीक हैं। हालांकि कांग्रेस ने नवजोत सिंह सिद्धू की ताजपोशी करने का मन पहले ही बना लिया था लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह के कड़े तेवर और उनके समर्थकों की संख्या देखते हुए पार्टी आलाकमान थोड़ा पीछे हट रही थी। लेकिन प्रताप सिंह बाजवा ने जब पंजाब के सांसदों के साथ मिलकर मीटिंग की और पार्टी आलाकमान को तेवर दिखाने की कोशिश की तो सोनिया गांधी ने भी अपना रुतबा दिखा दिया। परिणामस्वरूप सोनिया गांधी ने नवजोत सिंह सिद्धू को पीसीसी प्रमुख बनाए जाने की घोषणा कर दी।
पंजाब का विवाद सुलझाने के बाद अब सबकी नज़र राजस्थान कांग्रेस पर बनी हुई है। जानकारी हो कि पंजाब से पहले राजस्थान में कलह चल रही थी। सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच का विवाद अभी तक खत्म नहीं हुआ है। सूत्रों की माने तो जिस तरह पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की बातों को दरकिनार करते हुए नवजोत सिंह सिद्धू की ताजपोशी हुई है उसी प्रकार राजस्थान में पायलट समर्थक भी आलाकमान से अशोक गहलोत से डर का कारण पूछेंगे। क्योंकि 6 महीने हो चुके हैं लेकिन अब तक सचिन पायलट की शिकायतों को दूर नहीं किया गया है। 6 महीने पहले ही पार्टी ने सचिन पायलट से कहा था कि वे उनके मसले का हल निकलेगी लेकिन अब तक ऐसा कुछ नहीं हुआ। पंजाब में हुए विवाद के बाद अब राजस्थान में भी हलचल तेज़ हो गई है क्योंकि अब ये उम्मीद लगाई जा रही है कि जिस तरह कांग्रेस पंजाब में कैप्टन अमरिंदर के खिलाफ गई है ठीक उसी तरह पंजाब में अशोक गहलोत से भी लड़ लेगी। जिस तरह कांग्रेस एक के बाद एक चुनाव हार रही है, युवा नेता पार्टी छोड़ने लगे हैं। इसलिए अब कांग्रेस ने युवाओं को आगे करने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू की ताजपोशी के बाद से अन्य राज्यों में भी कांग्रेस के युवा नेता अपनी बारी का इंतेज़ार कर रहे हैं।
पंजाब और राजस्थान के अलावा कर्नाटक कांग्रेस में भी घमासान मचा हुआ है। डीके शिवकुमार और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बीच विवाद जारी है और इस विवाद में राहुल गांधी डीके शिवकुमार के समर्थन में हैं। इसलिए लोगों में इस बात की भी जिज्ञासा बनी हुई है कि आखिर कांग्रेस यहां किसे जीत दिलाती है। अगले साल 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पार्टी पर अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं। इस बार उनका लक्ष्य युवा नेताओं को आगे करना है क्योंकि वे चाहते हैं कि युवा नेता अब पार्टी की कमान संभाले। लेकिन पार्टी के दिग्गज नेताओं को डर इस बात का है कि कहीं युवा चेहरों की तलाश में वो न गुम हो जाए। पंजाब के बाद राजस्थान, कर्नाटक और अन्य राज्यों का नाम भी इस सूची में शामिल है।