बेंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में अभी दो साल का समय बाकी है, लेकिन कुछ नेता अभी से ही अपना झंडा बुलंद करने में लगे हैं। दरअसल बीते दिनों कर्नाटक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डी.के.शिवकुमार ने एक अंग्रेजी अखबार में अपना ऐडवटोरियल छपवाया था। ऐडवटोरियल में कोई व्यक्ति खबरों के रूप में फीचर लिखवाता है। ज़्यादातर लोग और कंपनियां विज्ञापन की तरह इसमें अपनी तारीफ लिखवाते हैं। कोंग्रेस अध्यक्ष शिवकुमार ने भी अपनी तारीफ के पुल बांधते हुए ऐडवटोरियल छपवाया जिसके बाद कर्नाटक कांग्रेस में घमासान मच गया।
बता दें कि अंग्रेजी अखबार में शिवकुमार के दो पन्नों के ऐडवटोरियल में उनकी बढ़ा-चढ़ाकर तारीफ की गई है। इसमें शिवकुमार को ‘परिवर्तन का दूत’ बताया गया है। हालांकि इसके अतिरिक्त शिवकुमार की तारीफ में बहुत सारे आर्टिकल और फीचर भी लिखे गए। इनमें ये ज़ाहिर करने की कोशिश की गई कि किस तरह कोरोना महामारी के दौरान शिवकुमार ने कड़ी मेहनत की और लोगों की जान बचाई। लेकिन कांग्रेस के कुछ नेताओं को शिवकुमार का इस तरह से प्रमोशन चुभने लगा और वह दबी आवाज़ में इसपर आपत्ति भी जता रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक कांग्रेस के ही कुछ सूत्रों ने कहा कि शिवकुमार के इस प्रकार प्रशंसा वाले आर्टिकल पीआर कंपनी ने लिखवाए हैं क्योंकि ये शिवकुमार की इमेज निर्माण करने में जुटे हुए हैं। वहीं कांग्रेस प्रवक्ता लावण्या बल्लाल ने कहा कि राजनेताओं और राजनीतिक दलों के लिए अपने द्वारा किए गए कामों को लोगों को बताना सामान्य बात है। लावण्या बल्लाल ने कहा कि विज्ञापनों को अलग नज़रिए से नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि सेवा एक राजनेता का धर्म है और शिवकुमार ये कर रहे हैं। लावण्या बल्लाल ने बताया कि जुलाई 2002 में शिवकुमार ने प्रदेश अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला और उसके बाद से पार्टी के कैडर में उत्साह बढ़ गया है।
दूसरी तरफ कुछ नेताओं का कहना है कि शिवकुमार कर्नाटक के अगले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदार बनना चाहते हैं। नेताओं ने आगे कहा कि उन्होंने एक अध्यक्ष के तौर पर महामारी के दौरान भी काफी अच्छे से काम किया और पार्टी में उनकी तारीफ भी की जाती है। लेकिन व्यक्तिगत जीत के बारे में लिखवाना उनकी असुरक्षा को ज़ाहिर कर रहा है और कई नेता इससे असहज महसूस कर रहे हैं।