नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की 12वीं की परीक्षाएं 15 जुलाई से 26 अगस्त के बीच आयोजित की जाएंगी। इन परीक्षाओं का परिणाम सितंबर में जारी किया जाएगा। बोर्ड की समीक्षा बैठक के बाद 1 जून को अंतिम निर्णय लिया जाएगा और फिर डेटशीट जारी की जाएगी। बोर्ड परीक्षाओं का आयोजन ऑफलाइन मोड में होगा। लेकिन कुछ छात्र सोशल मीडिया पर इसका विरोध कर रहे हैं और ऑनलाइन परीक्षाएं कराए जाने की मांग कर रहे हैं।
हालांकि परीक्षाओं का आयोजन नियमित प्रोटोकॉल के अनुसार नही किया जाएगा। सीबीएसई ने ये सुझाव भी पेश किया था कि केवल कुछ विषयों की परीक्षा आयोजित की जाए या फिर तीन घंटे की जगह डेढ़ घंटे की परीक्षा का आयोजन किया जाए। सभी राज्यों के शिक्षामंत्रियों और शिक्षा सचिवों के के मध्य हुई ऑनलाइन बैठक में अधिकतर राज्य डेढ़ घण्टे की परीक्षा में पक्ष में दिखे। इसके साथ ही कुछ मंत्रियों ने दोनों विकल्पों के मिश्रण की संभावना की मांग रखी। यदि परीक्षा का आयोजन डेढ़ घण्टे का होता है तो परीक्षा पैटर्न में भी परिवर्तन किया जाएगा। परीक्षार्थियों के समक्ष वस्तुनिष्ठ और संक्षिप्त प्रश्न होंगे अर्थात केवल मल्टीप्ल चॉइस कुएसशन्स (MCQ) और छोटे उत्तरों वाले प्रश्न होंगे। इसके साथ ही परीक्षार्थियों को एक भाषा और तीन वैकल्पिक विषयों की ही परीक्षा देनी होगी।
सुत्रों की माने तो 15 जुलाई से 1 अगस्त के बीच पहले चरण और 8 अगस्त से 26 अगस्त के बीच दूसरे चरण की परीक्षाएं कराई जाएंगी। यहां तक कि रविवार को भी परीक्षा आयोजित किये जाने का प्रस्ताव है। इसके अतिरिक्त कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। सभी सावधानियों का सख्ती से पालन किये जाने के निर्देश होंगे। परीक्षा में बैठे विद्यार्थियों में सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा जाएगा। हालांकि पिछले साल 2020 में सीबीएसई बोर्ड की परीक्षाओं का आयोजन किया गया था लेकिन बीच मे ही रद्द करना पड़ा। कोरोना महामारी की तीसरी लहर को देखते हुए परीक्षा की खबर सुनने के बाद अभिभावकों और छात्रों ने इसपर आपत्ति जताई है।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करके परीक्षा का आयोजन करना एक बड़ी गलती और विफलता साबित होगी। उन्होंने ये भी कहा कि परीक्षा में बैठने से पहले सभी को टीका लगाया जाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि फाइजर या विशेषज्ञों से परामर्श करने के बाद बच्चों को अपना टीका देना चाहिए, यह मानते हुए कि वे 17.5 वर्ष के हैं और 18 वर्ष के होने में केवल कुछ महीने है। जो लोग 18 वर्ष और उससे अधिक आयु प्राप्त कर चुके हैं, वे भारत में टीकाकरण के लिए पात्र हैं।