अपने सबसे बुरे दौर से गुज़र रहे देश के सबसे पुराने राजनितिक दल से लोगों को यही जानना है कि मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व वाली नै कांग्रेस आने वाले दिनों में कोई करिश्मा कर पायेगी या नहीं। लोगों की ये उत्सुकता क्यों न हो, एक वक़्त में देश के ज़्यादातर मतदाता कांग्रेस समर्थक माने जाते थे, लेकिन हाल के वर्षों में पार्टी की दुर्दशा से चिंतित ये लोग अब खड़गे को आशा की नई किरण के तौर पर देख रहे हैं।

कांग्रेस को ग़ैर गाँधी अध्यक्ष मिलने और राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा को बड़े पैमाने पर मिलते जन समर्थन से इनलोगों की उमीदें और भी ज़्यादा जाएगी हैं।
जिस कांग्रेस पार्टी की इस्टैब्लिशमेंट 28 दिसम्बर 1855 में 72 लोगों के तरफ से की गयी थी- इसकी इस्टैब्लिशमेंट में ए ओ ह्यूम , दादा भाई नौरोजी और दिनशा वाचा ने एक अहम् किरदार अदा किया – कांग्रेस के रहनुमा महात्मा गाँधी और जवाहरलाल नेहरू जैसे बहुत से जंगजुओं की हिंदुस्तान की आज़ादी की लड़ाई में एक लम्बी क़तार थी ,और ये पार्टी अब भी लड़ रही है !
कांग्रेस में टूट फुट की तारीख़ पुराणी है -आज़ादी से पहले भी कांग्रेस दो बार टूट चुकी थी सी -आर दस और मोतीलाल नेहरू ने 1923 में स्वराज पार्टी बनाई थी !फॉरवर्ड ब्लॉक 1939 में नेताजी सुभाष चन्दर बोस ने सार्दुल सिंह और शील भद्र के साथ बनाया था ! आज़ादी के बाद कांग्रेस दर्जनों बार टूट चुकी है ! ममता बनर्जी त्रिमूल कांग्रेस ,शरद पवार NCP जैसी कई पार्टियां बनती रही है !
आज़ादी के बाद कांग्रेस में पहला तोड़ 1951 में हुआ –जे-बी -किरपलनी ने अलग होकर किसान मज़दूर परजा पार्टी बनायीं -एन-जे रंगा ने हैदराबाद स्टेट परजा पार्टी बनायीं -रजगोपालचारी ने कांग्रेस से अलग होकर 1956 में इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी बनायीं ! सौराष्ट्र खेदुत संघ भी बना -कांग्रेस 1959 में बिहार ,राजस्थान ,गुजरात और ओडिशा में टूट गयी -1964 में केएम जॉर्ज ने केरला कांग्रेस बनायीं और 1967 में चौधरी चरण सिंह ने कांग्रेस छोड़कर भारतीय क्रांति दल बना लिया ! बाद में चरण सिंह ने लोक दल के नाम से एक पार्टी बनायीं -ताहम,खड़गे को इस अजीबो ग़रीब सूरतेहाल में कांग्रेस को नयी ज़िन्दगी देने का चैलेंज दरपेश होगा !
कांग्रेस के साबिक़ सदर राहुल गाँधी अपनी कन्याकुमारी श्रीनगर भारत जोड़ो यात्रा के ज़रिये क़ौमी हम आहंगी की एक लम्बी लकीर खींचने की कोशिश कर रहे हैं ,जो तक़रीबन तीन हज़ार पांच सौ किलोमीटर तवील सफर है -जिस से कुदरती तौर पर कांग्रेस कारकानों में जोश व खरोश पैदा हो रहा है !
माज़ी में ,मल्लिकार्जुन खड़गे जिनका ताल्लुक़ दलित तबक़े से है सदियों पुराने कांग्रेस पार्टी के 89वें सदर मुंतखिब हुए -मिस्टर खड़गे ने अपने हरीफ़ मिस्टर थरूर को वोटों के बड़े फ़र्क़ से शिकश्त दी ! मुल्कभर के कॉंग्रेस्सिओं में एक नए जोश के साथ उम्मीद की किरण नज़र आएगी ,ऐसी उम्मीद की जा सकती है !
दूसरी तरफ ,कुर्सी की खवाहिश ज़ाहिर की गयी -मिस्टर अशोक गहलोत ,जो इस ओहदे के लिए सबसे पहले राजस्थान के वज़ीर आला थे ! इन्हे गाँधी खानदान का सबसे क़ाबिल एतेमाद उमीदवार समझा जारहा था ! लेकिन वो इक़्तेदार का भरम तर्क न कर सका !आखिरकार वो इस दौड़ में पीछे छोड़ दिया ,वो पार्टी और हुकूमत दोनों चाहते थे !मिस्टर गहलोत को ख़ुशी से राजस्थान हुकूमत की सरबराही की ज़िम्मेदारी नौजवान नेसल के लीडर सचिन पायलट को सौंप देनी चाहिए थी ! इस से सियासतदां के तौर पर इन का मुक़ाम कई गुना बढ़ जाता लेकिन वो ऐसा नहीं कर सके !
ठीक है ,मुल्क के वज़ीर आज़म नरेंद्र मोदी अब आवामी तौर पर इलज़ाम नहीं लगा सकेंगे के कांग्रेस पार्टी खानदान परस्ती की पार्टी है ! ताहम ,बहुत सी दूसरी पार्टियां अभी भी खांदनीयत में फँसी हुई है ! मल्लिकार्जुन खड़गे के पहले शशमाही इम्तेहान (आने वाली कई रियासतों में असम्ब्ली के इंतेख़्वाब ) के बाद ,आखरी फाइनल मुक़ाबला 2024 के आम इन्तेख़ाबात में होगा ! राहुल गाँधी ने कांग्रेस के एक बड़े लीडर के तौर पर साल 2014 और 2019 के लोक सभा इन्तेख़ाबात खुद अनहसरि के साथ सामने इस्तेक़ामत के साथ राखी ,लेकिन कामयाबी नहीं मिली ! इन्होने 2019 के आम इन्तेख़ाबात में शिकश्त के बाद कांग्रेस सदर के ओहदे से इस्तीफा दे दिया था ! हालाँकि पार्टी अब भी इन्हे बरक़रार रखना चाहती थी -लेकिन राहुल गाँधी इस पर राज़ी नहीं हुए –आखिरकार मोहतरमा सोनिया गाँधी को कांग्रेस पार्टी की आबुरी सदर की ज़िम्मेदारी सम्भालनि पड़ी !
फिलहाल ,राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा मुस्तक़बिल में कांग्रेस पार्टी के लिए संजीवनी बूटी का काम करेगी ,ऐसे इमकेनात को इंकार नहीं किया जा सकता ! मल्लिकार्जुन खड़गे की सदारत में लड़े जाने वाले आइंदा इन्तेख़ाबात और 2024 के इंतेख़्वाबी सीजन में कांग्रेस पार्टी की क़िस्मत में तब्दीली की उम्मीद भी बहुत से हामियों को बांध रही होगी !
सोनिया गाँधी के दौरे तवील और कामयाब था ! अगर हम G-23 को छोड़ दें तो दो दहियों से भी ज़्यादा पहले वो कोंग्रेसी जिन्होंने सोनिया गाँधी पर ग़ैर मुल्की होने का इलज़ाम लगाया और एक नयी पार्टी बनायीं ! तमाम बड़े लीडरों को मौक़ा देते हुए जिन्होंने शिरकत की ,श्रीमती गाँधी ने इन्हे बाइज़्ज़त तरीके से पार्टी में शामिल क्या और इन्हे आला मुक़ाम पर बैठा दिया ! कांग्रेस पार्टी ने अपना मुस्तक़बिल इस साल मेलक्कार्जुन खड़गे साहिब के हाँथ में सौंप दिया ,इनपर भरोसा है ! कांग्रेस पार्टी खड़गे साहिब से तवक़्क़ो रखेगी के वो अवाम के जज़्बात को मद्देनज़र रखते हुए कांग्रेस पार्टी को आगे बढ़ेंगे –