पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य के एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। लंबे समय से जातिगत जनगणना की मांग करते हुए नीतीश कुमार प्रधानमंत्री के बुलावे का इंतेज़ार कर रहे थे। वहीं इस मुलाकात से एक दिन पहले नीतीश कुमार और बिहार के अन्य दलों की जातिगत जनगणना की मांग को लेकर भाजपा ने पूरा समर्थन जताया। BJP के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने जातिगत जनगणना की मांग को समर्थन देते हुए कहा कि भाजपा ने हमेशा जातिगत जनगणना को समर्थन दिया है और बीजेपी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने वाले प्रतिनिधिमंडल में शामिल होगी।
पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने रविवार को ट्वीट करते हुए लिखा-‘भाजपा कभी भी जातिगत जनगणना के खिलाफ नहीं रही, इसलिए हम इस मुद्दे पर विधानसभा और विधान परिषद में पारित प्रस्ताव का हिस्सा रहे हैं।’ सुशील मोदी का बयान पीएम मोदी के अपनी पार्टी में ओबीसी सदस्यों को रिकॉर्ड प्रतिनिधित्व देने और चिकित्सा पाठ्यक्रमों में अखिल भारतीय कोटा देने का ऐलान करने लिए दखलंदाजी किए जाने को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश भाजपा के लोकसभा सदस्य संघमित्रा मौर्य ने भी 127वें संशोधन विधेयक पर अपनी राय बताते हुए सभी राज्यों को अपना ओबीसी की सूची तैयार करने की अनुमति देने की बात कही थी और जातिगत जनगणना का समर्थन किया था। सुशील मोदी ने साल 2014 में संसद में तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री स्वर्गीय गोपीनाथ मुंडे के उस बयान का ज़िक्र करते हुए कहा कि गोपीनाथ मुंडे ने कहा था कि सरकार सामाजिक और आर्थिक जातिगत जनगणना के परिणामों पर विश्वास नहीं कर सकती है क्योंकि इन आंकड़ों में कुछ कमियां हैं। सुशील मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार के निर्देशानुसार जब उस समय ग्रामीण विकास और शहरी विकास मंत्रालयों ने सामाजिक-आर्थिक जाति सर्वेक्षण किया तो उसमें काफी गलतियां निकली। उस समय जातियों की संख्या लाखों में पहुंच गई थी और इन्हीं गलतियों की वजह से उस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया। पूर्व उपमुख्यमंत्री ने आगे कहा कि 1931 में ब्रिटिश शासन के अनुसार जो पिछली जनगणना हुई थी उस दौरान बिहार, झारखंड और उड़ीसा एक ही राज्य थे। उस समय बिहार की आबादी लगभग एक करोड़ थी और सिर्फ 22 जातियों की ही जनगणना हुई थी। लेकिन अब 90 साल के बाद सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और भौगोलिक परिस्थितियां बदल चुकीं हैं।
सुशील मोदी ने कहा कि जातिगत जनगणना कराने में बहुत-सी तकनीकी और व्यावहारिक परेशानियां हैं लेकिन फिर भी भाजपा इसका समर्थन करती है। इससे पहले भाजपा सांसद संघमित्रा मौर्य 127वें संशोधन बिल का भाग बनते हुए जातिगत जनगणना का समर्थन करते नज़र आएं थे। वे स्वयं पिछड़ी जाति से संबंध रखते हैं और उनके पिता स्वामी प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। उन्होंने कहा था कि पहले तो जानवरों की भी गिनती होती थी लेकिन पिछड़ी जातियों को नहीं गिना जाता था लेकिन भाजपा सरकार उनकी गणना कर रही है।