पटना: जदयू की नेशनल काउंसिल की बैठक में पारित हुए प्रस्ताव को लेकर सियासी गलियारों में घमासान छिड़ गया है। जदयू ने नीतीश कुमार को पीएम मैटेरियल बताया तो भाजपा ने इसपर कहा कि फिलहाल प्रधानमंत्री के पद के लिए कोई वैकेंसी नहीं है। ऐसे में भाजपा और जदयू के दिग्गज नेता और सांसद आपस में उलझते नज़र आ रहे हैं। भाजपा सांसद निषाद ने उपेंद्र कुशवाहा पर तंज करते हुए कहा कि उपेंद्र कुशवाहा यादव का दूध और कुशवाहा के चावल लेकर खीर बना रहे थे लेकिन उनकी खीर बनी नहीं और अब वो घूमकर जदयू में लौट आए हैं।
भाजपा सांसद अजय निषाद ने कहा कि जदयू ने एक सपना संजोया हुआ है। अगर नीतीश कुमार का केंद्रीय राजनीति में प्रमोशन हो जाता है तो बिहार के मुख्यमंत्री का पद खाली हो जाएगा। आजकल तो उपेंद्र कुशवाहा के होर्डिंग्स भी लगाए जा रहे हैं कि भावी मुख्यमंत्री उपेंद्र कुशवाहा ही हैं। निषाद ने उपेंद्र कुशवाहा से कहा कि फिलहाल तो न प्रधानमंत्री का पद खाली है और न बिहार में मुख्यमंत्री का पद। ये सभी लोग ख्याली पुलाव पका रहे है। जबकि इससे कुछ होने वाला नहीं है। निषाद ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री बनने के लिए कठिन परिश्रम की आवश्यकता होती है। किसी एक राज्य का नेतृत्व करके कोई प्रधानमंत्री नहीं बन जाता। वहीं जदयू ने इस मामले पर अपना पक्ष रखा है। इस संबंध में जदयू सांसद सुनील कुमार पिंटू ने कहा कि हमारा कहना है नीतीश कुमार ने जो भी उपलब्धियां हासिल की हैं या जो भी काम किए है उसे देश के दूसरे राज्यों में भी फैलाया जाए। हमारा भाजपा के साथ गठबंधन केवल बिहार में ही है। ऐसे में हम चाहते हैं कि हैं लोगों को बताएं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने क्या काम किए हैं और वहां की जनता से कहा जाए कि अगर आप चाहते हैं कि आपके राज्य में भी ऐसा काम हो तो ऐसा तो तभी हो सकता है जब आप मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनाएं। उन्होंने आगे कहा कि जब भाजपा दो सीटों के साथ केंद्र में सरकार बना सकती है तो हम तो 16 है। क्या कभी किसी ने यह कल्पना की थी कि 2 सीटों वाली ये भाजपा 303 तक पहुंचकर केंद्र में सरकार बनाएगी। हम भी जनता के बीच जाकर अपनी पार्टी का विस्तार करेंगे। जदयू सांसद ने आगे कहा कि हम बिहार में एनडीए के साथ गठबंधन में हैं लेकिन बिहार के बाहर हम अपनी पार्टी का विस्तार करने के लिए आज़ाद हैं।
जदयू सांसद सुनील कुमार पिंटू ने यह भी कहा कि हम 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर कोई दावा नहीं कर रहे हैं। लेकिन राजनीति में संभावनाए किसने देखी है। किसे पता है कि कल क्या हो जाए और भविष्य के गर्भ में क्या छिपा बैठा है। जब जदयू का दूसरे राज्यों में विस्तार होने लगेगा तब उस राज्य के लोग स्वयं हमारे साथ आना चाहेंगे। उस समय पार्टी आलाकमान यह निर्णय लेगा की उसे किसके साथ जुड़ना है।