गुजरात के मोरबी (Morbi Gujarat) में बीते रविवार को मच्छू नदी के ऊपर बना केबल ब्रिज (Cable Bridge) गिर जाने से मरने वालों की मौत का आंकड़ा 141 हो चूका है। इनमें 56 बच्चे शामिल हैं, मरने वालों में बड़ी संख्या महिलाओं की भी बताई जा रही है।
मौत के इन भयावय आंकड़ों के बीच इस दर्दनाक घटना के जिम्मेदारों को बचाने का खेल भी शुरू हो चूका है। सोमवार को पुलिस ने इस केस में जिन 9 लोगों को गिरफ्तार किया, उनमें ओरेवा के दो मैनेजर, दो मजदूर, तीन सिक्योरिटी गार्ड और दो टिकट क्लर्क शामिल हैं।
गिरफ्तार किये गए वो लोग हैं जो की नीचले स्तर पर अपनी भूमिका निभा रहे थे, लेकिन इसमें जिनकी बड़ी भूमिका रही है, उनमे से किसी का न तो गिरफ्तारी ही हुई है और न ही किसी का भी नाम पुलिस द्वारा दर्ज की गई FIR में शामिल है। FIR में केवल छोटे कर्मचारियों को हादसे का जिम्मेदार ठहराकर, उनकी गिरफ़्तारी करके सरकार और पुलिस प्रशासन अपनी पीठ थपथपा रही है।
FIR में न तो पुल को ऑपरेट करने वाली कंपनी ओरेवा के किसी बड़े अधिकारी का का जिक्र है, न ही उस कंपनी का, हद्द तो ये है की रिनोवेशन का काम करने वाली देवप्रकाश सॉल्युशन का भी नाम इस FIR ने नहीं दर्ज किया गया है। और तो और पुल की निगरानी के लिए जिम्मेदार मोरबी नगर पालिका के किसी इंजीनियर का भी नाम इसमें नहीं लिया गया है।
एक झटके में इतनी बड़ी संख्या में लोगों को मौत के मुहं में धकेलने वाले इस हादसे को लेकर, अफसर कितने गंभीर हैं इसकी बानगी यह है कि राज्य सरकार ने जांच के लिए जिन 5 अधिकारियों की कमेटी बनाई थी, उसने महज आधे घंटे में अपनी जांच पूरी कर ली।
इस पल की क्षमता एक बार में मात्र 100 लोगों का भार उठाने भर की ही थी, जबकि हादसे के वक़्त इस पर 400 लोग सवार थे,. जिन्हे बाक़ायदा टिकट दे कर और कमाई करके उस पर जाने की अनुमति दे दी गई थी। अपनी क्षमता से अधिक भार उठा पाने में असफल रहा ये पल आखिरकार गिर गया और उस ामय उस पर मौजूद सभी 400 लोग एक झटके में ही मच्छु नदी में समा गए, जिनमे से भाग्यशाली रहे लोग किसी तरह अपनी जान बचा सके जबकि 141 लोगों को अपनी जान गँवा देनी पड़ी।
इस मामले में राज्य सरकार और जिला प्रशासन की गंभीरता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि आज प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) का मोरबी दौरा होना है, वो घायलों से मिलने अस्पताल , जिसको लेकर अस्पताल की रंगाई-पुताई में पूरा जिला प्रशासन जुटा हुआ दिख रहा है। हादसे के तुरंत बाद, अस्पताल को यूँ चमकाया जा रहा है मानो, मौत में भी जश्न मनाने की तैयारी हो।
राज्य सरकार के द्वारा अस्पताल की रंगाई-पुताई पर विपक्षी पार्टियों ने भी हमला किया है। कांग्रेस (Congress) ने हादसे को ‘त्रासदी’ बताते हुए ट्वीट किया, “PM मोदी मोरबी के सिविल अस्पताल जाएंगे… उससे पहले वहां रंगाई-पुताई का काम चल रहा है… चमचमाती टाइल्स लगाई जा रही हैं… PM मोदी की तस्वीर में कोई कमी न रहे, इसका सारा प्रबंध हो रहा है… इन्हें शर्म नहीं आती…! इतने लोग मर गए और ये ईवेंटबाजी में लगे हैं।
त्रासदी का इवेंट
कल PM मोदी मोरबी के सिविल अस्पताल जाएंगे। उससे पहले वहां रंगाई-पुताई का काम चल रहा है। चमचमाती टाइल्स लगाई जा रही हैं।
PM मोदी की तस्वीर में कोई कमी न रहे, इसका सारा प्रबंध हो रहा है।
इन्हें शर्म नहीं आती! इतने लोग मर गए और ये इवेंटबाजी में लगे हैं। pic.twitter.com/MHYAUsfaoC
— Congress (@INCIndia) October 31, 2022
बता दें की इस अस्पताल में घायलों को अब तक बिना गद्दे के अस्पताल के बिस्तर पर रखा गया था, लेकिन जैसे ही PM मोदी के आने की सूचना मिली, उन मरीज़ों को गद्दे के साथ साथ तकिया और चादर तक मुहैया करा दी गई। ताकि अस्पताल की सच्चाई सामने न आ सके।
गुजरात में जल्द ही विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Elections 2022) होने हैं, जिसमे मज़बूती से उभरने की जीतोड़ कोशिश में जुटी अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी अस्पताल के ‘जीर्णोद्धार’ की तस्वीरें ट्वीट करके लिखा है कि, “कल प्रधानमंत्री के फोटोशूट में कोई कमी न रह जाए, इसलिए अस्पताल की मरम्मत की जा रही है… अगर BJP ने 27 वर्ष में काम किया होता, तो आधी रात को अस्पताल को चमकाने की ज़रूरत न पड़ती…”
Morbi Civil Hospital का दृश्य…
कल प्रधानमंत्री के Photoshoot में कोई कमी ना रह जाए इसलिए अस्पताल की मरम्मत की जा रही है।
अगर भाजपा ने 27 वर्षों में काम किया होता तो आधी रात को अस्पताल को चमकाने की जरूरत न पड़ती।#BJPCheatsGujarat pic.twitter.com/h83iUmPzKA
— AAP (@AamAadmiParty) October 31, 2022
हालांकि विपक्षी दलों द्वारा हादसे के तुरंत बाद अस्पताल की रंगाई-पुताई के काम की आलोचना किए जाने के बाद वहां चल रहे कुछ काम को रोक दिया गया, लेकिन इस मामले से सरकार की गंभीरता समझी जा सकती है।