चुनाव आयोग (Election Commission) की अनुशंसा पर कार्रवाई करते हुए झारखण्ड के राज्यपाल (Jharkhand Governor), राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) को विधानसभा की सदस्यता को अयोग्य करार दे सकते हैं। राज्यपाल अपना आदेश विधानसभा अध्यक्ष को भेजेंगे। इस तरह हेमंत सोरेन का जाना लगभग तय हो चूका है।
हालांकि अयोग्य करार दिए जाने के बावजूद हेमंत सोरेन के पास दो विकल्प अभी भी बच रहे हैं। पहला उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा और फिर महागठबंधन की बैठक करके, सोरेन परिवार के किसी अन्य सदस्या को विधायक दल का नेता चुना जा सकता है, उसके बाद उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी जा सकती है।
दूसरा विकल्प ये है कि चूँकि हेमंत सोरेन को सिर्फ अयोग्य ठहराया जा रहा है, लेकिन उनके चुनाव लड़ने लग रही है, इसलिए वह दोबारा से महागठबंधन का नेता चुने जाने के बाद एक बार फिर की सत्ता अपने हाथ में लेकर मुख्यमंत्री बन सकते हैं। ऐसे में उनके पास छह महीने का समय होगा ताकि वह दोबारा से चुनाव जीत कर मुख्यमंत्री बने रहे।
JMM नेता शिबू सोरेन (Shibu Soren) के बेटे हेमंत सोरेन की राजनितिक सूझबूझ अच्छी मानी जाती है, माने तो वो इतनी आसानी से अपनी हार नहीं मान सकते ऐसे में दूसरे विकल्प की संभावना ज़्यादा जताई जा रही है।
इस बीच हेमंत सोरेन के वकीलों की टीम ने अयोग्य करार दिए जाने के बाद उच्तम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की तैयारी भी कर रही है।
हेमंत सोरेन झारखंड में खदान का पट्टा लेने के मामले में चुनाव आयोग द्वारा विधानसभा सदस्य(MLA) के तौर पर अयोग्य पाए गए हैं। इस मुद्दे पर विपक्ष लगातार उनके इस्तीफ़े की मांग कर रहा है।
चुनाव आयोग की इस कार्रवाई के बाद हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि झारखंड के अंदर बाहरी ताक़तों का गिरोह सक्रिय है। सोरेन ने कहा कि इस गिरोह ने 20 सालों से राज्य को तहस-नहस करने का प्रयास कर रहा था, जब उन्हें 2019 में उखाड़ फेंका गया तो, अब वे इसको बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं।
इस बीच महागठबंधन के नेताओं का दावा है कि राज्य की हेमंत सोरेन सरकार को कोई खतरा नहीं है और सरकार पूरी मज़बूती से अपना काम करती रहेगी। इन नेताओं ने कहा कि महागठबंधन के दल एकजुट हैं और हेमंत सोरेन के नेतृत्व में उनकी पूरी आस्था है।