मुंबई: भीमा कोरेगांव हिंसा मामले से जुड़े एक्टिविस्ट फादर स्टेन स्वामी का निधन हो गया है। उन्हें भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार किया गया था। इसी साल मई में उनकी तबियत काफी बिगड़ गई थी जिसके बाद उन्हें मुम्बई के होली फैमिली अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लंबे समय से चल रहे इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
स्टेन स्वामी को बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर 30 मई को मुंबई के होली फैमिली अस्पताल में भर्ती कराया गया था। काफी लंबे समय से इलाज के बाद भी उनके स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं आया। रविवार को तबियत ज़्यादा बिगड़ जाने के कारण उन्हें वेंटिलेटर पर भी रखा गया था। जिसके बाद आज 84 वर्ष की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। स्टेन स्वामी के वकील ने शनिवार को ही बॉम्बे हाईकोर्ट को इस बात की सूचना दे दी थी कि स्टेन स्वामी की तबियत लगातार बिगड़ती ही जा रही है। बता दें कि चूंकि स्टेन स्वामी काफी समय से बीमार थे तो इस साल बॉम्बे हाईकोर्ट में उनकी ज़मानत को लेकर अर्जी दाखिल की गई थी। लेकिन एनआईए के विरोध करने के कारण उन्हें जमानत नहीं मिल सकी। स्टेन स्वामी ने इस बात की जानकारी दे दी थी कि उनकी तबियत जेल में लगातार बिगड़ रही है और उनका अस्पताल जाना बहुत ज़रूरी है। जब स्टेन स्वामी की तबियत काफी गंभीर हो गई तो बॉम्बे हाईकोर्ट ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की अनुमति दी।
गौरतलब है कि फादर स्टेन स्वामी पिछले साल से ही जेल में थे। 31 दिसंबर 2017 में स्टेन स्वामी ने पुणे के एलगार परिषद के कार्यक्रम में जो भाषण दिए थे उन्हें आधार बनाकर NIA ने उनपर केस दर्ज किया। इस भाषण के अगले दिन भीमा कोरेगांव में हिंसा हो गई थी जिसमें कई लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी। जानकारी के अनुसार इस हिंसा के पीछे माओवादियों का षड्यंत्र था और इसीलिए NIA ने स्टेन स्वामी पर भी UAPA का मामला दर्ज करते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। मालूम हो कि स्टेन स्वामी दलितों, आदिवासियों और अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए आवाज़ उठाने वाले एक्टिविस्टों में से एक हैं। उनका संबन्ध एक किसान परिवार से था और उन्होंने बच्चों के लिए स्कूल भी चलाने का काम किया।